63 मासूमों की मौत को मंत्री ने बताया ‘मौसमी’, तो CM बोले ‘गंदगी’ जिम्मेदार

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि बच्चे ऑक्सीजन की वजह से नहीं बल्कि गंदगी और बीमारियों से मरे  हैं. वहीं उनके स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कि ऐसा नहीं है कि उनकी सरकार इन मौतों पर संवेदनशील नहीं है. अस्पताल में तो बच्चे ऑक्सीजन की कमी से घुट-घुटकर मर ही गए लेकिन अब इन नेताओं के बोल सुनने के बाद ये यकीन सा होने लगा है कि इनमें से भी किसी के पास अब शायद  ज़मीर की ऑक्सीजन नहीं बची है.

अगस्त में होती ही है बच्चों की मौत

यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं. इसमें नई बात क्या है. मौत के आंकड़ों में घुमाते-घुमाते मंत्री बता गए कौन कब किस महीने में मरता है. चलिए आकड़ों से ही खेल लीजिए लेकिन ये तो बता दीजिए कि जब पता ही था कि अगस्त में बच्चे मरेंगे तो उन्हें मरने से बचाने के लिए आपने क्या किया? आप राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हैं. राज्य की जनता के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आप पर है. बीमारी का इलाज ना सही सांसों के सिलेंडर का तो इंतजाम कर देते.

छह दिन में 64 और दो दिन में 34 मौतों से ध्यान हटाने के लिए उन्हें बताना पड़ा कि 2014 में अगस्त के महीने में 567 बच्चों की मौत हुई. 15 में इसी अगस्त ने 668 बच्चों की जान ले ली और 16 में अगस्त में 587 बच्चों ने दम तोड़ दिया. यानी हर रोज 19 से बीस बच्चे मर रहे हैं.

ढाई घंटे में मरे सात बच्चे

मंत्री जी ने खुद कहा कि दस अगस्त की शाम साढ़े सात बजे से रात दस बजकर पांच मिनट तक लिक्वेड गैस सप्लाई डिप हुई. फिर सिलेंडर का सहारा लिया. सिलेंडर से भी ऑक्सीजन खत्म हो गई तब अम्बू बैग्स को पंप कर सांसें दी गईं. लेकिन सब कुछ बस ढाई घंटे में ठीक हो गया और इन ढाई घंटे में सात बच्चों की ही मौत हुई. मंत्री जी ने ये साबित करना चाहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती बच्चे सरकार की कोताहियों से नहीं बल्कि बीमारी से मरे हैं. यानी उनको तो मरना ही था.

 

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