
जेवर (ग्रेटर नोएडा) में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे को केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है. अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस हवाई अडडे के लिए करीब 3000 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होग. पहले चरण में एक हजार हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी. यहां देश का पहला एयर कार्गो हब भी बनाया जाएगा. इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बन जाने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों का आर्थकि विकास होने, पर्यटन को बल मिलने और रोजगार व व्यवसाय के अवसर बढने की उम्मीद है.
इस हवाई अड्डे के निर्माण में 15 से 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. यमुना एक्सप्रेसवे डेवलपमेंट अथारिटी (येडा) ने इसके लिए तीन हजार एकड़ जमीन चिन्हित कर ली है. उत्तर प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने ने बताया कि दिल्ली के हवाई अडडे पर यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नोएडा के जेवर में 2003 में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे की योजना बनाई गई थी. प्रदेश की गत सरकारों ने इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया.
योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस दिशा मे केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से बात की और जेवर हवाई अड्डे के काम को आगे बढ़ाया गया. नोएडा में बनने वाले इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे से पश्चिम उार प्रदेश के आगरा, मथुरा, वृन्दावन, मुजफ्फरनगर, मेरठ, अलीगढ, बुलंदशहर तथा मुरादाबाद सहित एनसीआर क्षेत्र में आर्थिकी विकास होने, साथ ही पर्यटन, रोजगार और व्यवसाय के अवसर बढ़ने की उम्मीद है. नंदी ने बताया कि पहले चरण में करीब 1000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण यमुना एक्सप्रेस वे डेवलपमेंट अथारिटी द्वारा किया जाएगा, जिस पर करीब 2000 करोड रुपये खर्च होंगे.
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