अलीगढ़ बाइकर्स गैंगः लाला के बाद बीनू कालिया से लिया बदला, गैंगवार में अब तक हो चुके हैं 7 मर्डर

क्या आप अलीगढ़ के बाइकर्स गैंग से वाकिफ हैं? अगर नहीं तो यह आपके लिए एक बड़ी न्यूज हो सकती है। गर्र-गर्र की धुन पर मंहगी बाइकों पर 10 से 15 की झुंड में चलने वाले इन बाइकर्स गैंगों का आतंक अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के पॉश कॉलोनियों में आपको कहीं भी दिख जाएंगे। इन बाइकर्स गैंगों के कारनामें तब तक ही मनोरंजक थे जब तेज आवाज में लहराकर ये बाइकर्स करीब से निकल जाते थे, लेकिन अब ये बाइकर्स खतरनाक हो गए हैं और अब तक 7 से अधिक मर्डर को अंजाम दे चुके हैं.

बाइकर्स गैंग और मर्डर मिस्ट्री
वर्ष 2010 में दो ग्रुपों में बंटे बाइकर्स गैंग में से एक बाहरी बाइकर्स ग्रुप का सदस्य विनय कटियार का मर्डर हो गया था, जो किसी भी बाइकर्स ग्रुप की ओर से किया गया पहला मर्डर था. बेशक बाहरी बाइकर्स ग्रुप में सदस्यों की संख्या अच्छी खासी थी. लेकिन इसके बाद भी दूसरे ग्रुप यानी स्थानीय ग्रुप के सदस्य के सामने खुलकर नहीं आ पा रहा था. कहा जाता है कि अंदर ही अंदर बाहरी ग्रुप विनय की मौत का बदला लेने के लिए छटपटा रहा था. लेकिन दो साल बाद 2012 में एक बार फिर से स्थानीय और बाहरी बाइकर्स ग्रुप आमने-सामने आ गए.

प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि दोनों के बीच जमकर झगड़ा हुआ. स्थानीय ग्रुप के दो लड़के गंभीर रूप से घायल हो गए थे. लड़ाई के दौरान ही स्थानीय ग्रुप का एक युवक कपिल उर्फ लाला गायब हो गया. लेकिन एक दिन बाद ही लाला की डेड बॉडी मिल गई. इतना ही नहीं चार साल बाद 2016 में कपिल के पिता की भी हत्या कर दी गई. कपिल के पिता की हत्या भी गैंगवार का ही नतीजा बताई जा रही है.

लाला के बाद बीनू कालिया से लिया बदला
बाहरी बाइकर्स ग्रुप सिर्फ कपिल उर्फ लाला की हत्या करने पर ही नहीं रुका. स्थानीय ग्रुप का बाइकर्स अंकित चौधरी उर्फ बीनू कालिया विनय कटियार की मौत में नामजद था. पुलिस उसे गिरफ्तार भी कर चुकी थी. लेकिन वो जमानत पर बाहर आ गया था. इसी दौरान मौका देखकर बाहरी ग्रुप ने 4 नवम्बर 2014 को बीनू कालिया की उसके खेत में उस वक्त हत्या कर दी जब वह किसी को जमीन दिखाने लाया था.

50 राउंड फायरिंग में शरद को बनाया निशाना
एक बाहरी तो एक स्थानीय ग्रुप से मर्डर. दोनों ओर से खूनी खेल शुरु हो चुका था. कपिल की मौत के बाद स्थानीय ग्रुप इस ताक में लग गया कि कब कपिल की मौत का बदला लिया जाए. ये मौका उन्हें 4 मार्च को बाहरी बाईकर्स ग्रुप के बाइकर्स सुमित सपेरा के भाई की शादी के दौरान मिला.

बाहरी ग्रुप का लीडर शदर गोस्वामी दोस्तों के साथ शादी में आया था. शादी थाने के पास ही बने गेस्ट हाउस में चल रही थी. रात दस बजे करीब शरद घर जाने के लिए जैसे ही गेस्ट हाउस से बाहर आया तो कुछ बाइक और स्कार्पियों सवार हमलावरों ने उसकी हत्या कर दी. पुलिस के अनुसार मौक पर कारतूस के 50 खोखे बरामद हुए थे.

बाहरी ग्रुप के जीतू का भी हो गया मर्डर
बाहरी बाइकर्स ग्रुप के जीतू चौधरी को एक अप्रैल 2016 को गोलियों से भून दिया गया. जीतू चौधरी पर कई अन्य मुकदमों के साथ-साथ स्थानीय बाइकर्स ग्रुप के लीडर पर सजल चौधरी पर हमला करने का भी आरोप था. शरद भी इस हमले का आरोपी था. इतना ही नहीं स्वर्ण जयंती नगर में एक दरोगा से पिस्टल छीनने का मुकदमा भी जीतू चौधरी पर चल रहा था.

धीरा ठाकुर से लिया शरद की मौत का बदला
वर्ष 2016 में जीतू चौधरी, शरद गोस्वामी और कपिल के पिता की हत्या हो चुकी थी. तीन हत्यों के बाद से दोनों ग्रुप सन्नाटे में आ गए. दूसरी ओर पुलिस ने भी दबाव बना दिया. लेकिन बाहरी ग्रुप के लड़के शरद की मौत का बदला लेने के लिए घूम रहे थे. ग्रुप का आरोप था कि शरद की मौत के पीछे धीरा ठाकुर का हाथ है. हत्या के वक्त धीरा की स्कॉर्पियों कार का इस्तेमाल किया गया था. इसी शंका के चलते 22 मई 2017 को अलीगढ़ में धीरा ठाकुर की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

बेटे की मौत ने रखी बाइकर्स ग्रुप की बुनियाद
हुड़दंगी और अब खूनी हो चुके अलीगढ़ के इस बाईकर्स ग्रुप का किस्सा वर्ष 2010 से शुरू होता है। जानकारों की मानें तो रामघाट रोड के किनारे पॉश कॉलोनियां नवनिर्मित हैं। यहां वो लोग रहते हैं जो अलीगढ़ के बाहर से या फिर अलीगढ़ के देहात क्षेत्र से आकर बसे हैं. कॉलोनियां बनने के बाद शहरवासियों को यह नहीं मालूम था कि इसके साथ ही शहर भी दो हिस्‍सों स्‍थानीय और बाहरी में बंट जाएगा। दोनों ही लोगों के बीच हनक की जंग शुरू हो गई। आए दिन कॉलोनी वाले युवकों और थोड़ी ही दूरी पर रहने वाले स्‍थानीय युवकों के बीच मारपीट होने लगी। जिसका नतीजा एक दिन यह निकला कि कॉलोनी में रहने वाले इनकम टैक्‍स अफसर के बेटे विनय कटियार का मर्डर हो गया।

दो हिस्सों में बंटा है बाइकर्स गैंग
वैसे तो आमतौर पर अलीगढ़ के दो बाईकर्स ग्रुप की ये ही एक पहचान है. बाहरी इसलिए कि एक ग्रुप के ज्यादातर लड़के बाहर या अलीगढ़ के गांव-देहात से आकर शहर में बसे हैं. ये वो लोग हैं जो 10-12 साल पहले ही अलीगढ़ में आए हैं. दूसरा ग्रुप है स्थानीय लड़कों का. इस ग्रुप के सभी लड़के मूल रूप से अलीगढ़ के ही रहने वाले हैं.

मर्डर ने रखी बाइकर्स गैंग की नींव
अलीगढ़ के स्थानीय लोग बताते हैं कि विनय के मर्डर के दो दिन बाद ही शाम के वक्‍त शहर के हॉर्ट कहे जाने वाले सेंटर पॉइंट इलाके में 200 से 250 बाइक सवार इकट्ठा हो गए। ये सभी विनय गुट के थे. सभी बाईकर्स एक साथ शहर में निकल गए। खासतौर से राहगीर और दुकानदार उस दिन की शाम को कभी नहीं भूलते हैं। पीड़ित बताते हैं कि उस दिन तो बाईकर्स के सामने जो भी आया उसके साथ मारपीट की गई। दुकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की गई। विनय की मौत का गुस्‍सा राहगीरों पर निकाला गया। बस उसी दिन से बाइकर्स गैंग का कहर शुरू हो गया।

बेजार हो चुका है स्वर्ण जयंती नगर
100 गज जमीन लेकर बड़े ही अरमानों से स्वर्ण जयंती नगर में घर बनाया था. मकान की खुशी के साथ फक्र भी था कि शहर के पाश इलाके में अपना भी एक मकान है. लेकिन बाइकर्स गैंग की हरकतों ने खून के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया है. अब तो लगता है कि इससे तो अच्छे हम अपने पुराने मोहल्ले वाले घर में ही थे. कम से कम वहां इस तरह की हरकतों को नहीं झेलना पड़ता था. यह कहना है स्वर्ण जयंती नगर फेस टू निवासी कमल किशोर का.

कमल बताते हैं कि शाम होते ही 25 से 30 बाइकर्स कॉलोनी में आ जाते हैं. इधर से उधर चक्कर काटते हैं. किसी एक घर को निशाना बनाते हुए उसके सामने खड़े हो जाते हैं. सभी बाइक की हैड लाइट की तेज लाइट उस घर पर फेंकी जाती है. एक साथ बाइक के हॉर्न बजाए जाते हैं. बाइकर्स की हरकतें यहीं पर नहीं रुकती हैं. जब किसी को बहुत ज्यादा परेशान करना होता है तो सभी बाइक में एक साथ रेस देते हैं. खासतौर से बुलेट बाइक के सालेंसर की तेज आवाजें निकाली जाती हैं. कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि ये बाइकर्स ग्रुप किसी एक खास घर को निशाना बनाते हुए दो-तीन दिन तक लगातार इसी तरह की हरकतें करते हैं.

राहगीरों को भी नहीं बख्शते बाइकर्स ग्रुप
एएमयू में जॉब करने वाले फजल अहमद बताते हैं कि मैं सुबह के वक्त अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने जा रहा था. इसी दौरान कई बाईकर्स आ गए. बाइकों को रेस देते हुए लहराने लगे. बीच सड़क पर ही स्टंट करने लगे. चलते-चलते एक पहिए पर बाइक खड़ी करना उनके लिए आम बात है. इसी दौरान एक बाईकर्स मेरी बाइक को रगड़ मारते हुए निकल गया. मेरी बेटी जमीन पर गिर गई. लेकिन मजबूरी ये हैं कि ग्रुप में होने के चलते कोई उनसे कुछ कहता नहीं है.
किसी भी दुकान या शोरुम के सामने बाइकों को खड़ी कर दुकानदारों को भी परेशान करते हैं. सेंटर पाइंट पर इस तरह का नजारा शाम के वक्त आम है.

80 हजार से 2.34 लाख तक की बाइक
बाइक के मामले में दोनों ही बाईकर्स ग्रुप अमीर हैं. ग्रुप में 80 हजार रुपये कीमत की बजाज एवेंजर बाइक से लेकर ड्यूक की 2.34 लाख रुपये कीमत वाली बाइक भी हैं. 1.50 लाख से अधिक कीमत वाली रॉयल एनफील्ड की बाइक भी ग्रुप के सदस्यों के पास है. बाइक में तरह-तरक की आवाज वाले प्रेशर हॉर्न भी लगे हैं.

रेसिंग बाइक से करते हैं हुड़दंग
स्थानीय लोगों की मानें तो शाम के वक्त सक्रिय हो जाने वाले बाइकर्स ग्रुप के सदस्य 1.25 लाख रुपये वाली सीवीआर-150, 2.34 लाख रुपये वाली डयूक की केएटीएम-390, 1.63 लाख रुपये वाली रॉयल एनफील्ड की क्लासिक-350, 1.97 लाख रुपये वाली रॉयल एनफील्ड की क्लासिक-500, एवेंजर, थंडरबर्ड, पल्सर बाइक से सड़क और कॉलोनियों में हुड़दंग करते हैं.

एएमयू सर्किल रोड पर करते हैं स्टंट
एएमयू सर्किल रोड पर खासतौर से शाम के वक्त कम ही आवाजाही रहती है. सड़क भी बहुत अच्छी बनी हुई है. इसी के चलते बाइकर्स ग्रुप स्टंटबाजी करने के लिए सर्किल रोड पर आ जाते हैं. चलती बाइक को एक पहिए पर उठा देना. चलते-चलते एकदम से बाइक को इस तरह से रोकने हैं कि सड़क पर टायरों के निशान से गोला बन जाता है. चलते-चलते लगातार एक-दूसरे को ओवरटेक करते हैं.

पुलिस ने सूचीबद्ध किया गैंग और बाईकर्स क्‍वार्सी थाने में मौजूद रिकॉर्ड की मानें तो पुलिस एक बाइकर्स गैंग को सूचीबद्ध कर चुकी है। साथ ही गैंग के 50 लड़कों को भी थाने में सूचीबद्ध किया जा चुका है। गैंग की रंजिश में हुए एक के बाद एक मर्डर के बाद पुलिस भी अलर्ट हो गई। पुलिस ने लगातार कार्रवाई कर गैंग के कई सदस्‍यों को जेल भेज दिया है।

बाइकर्स के खिलाफ नहीं मिलता गवाह
बाइकर्स ग्रुप के किसी सदस्य पर सात तो किसी पर दस केस है. केस भी कोई छोटे-मोटे नहीं हैं. हत्या करने और हत्या का प्रयास करने जैसे केस संगीन धाराओं में दर्ज हैं. ऐसा नहीं है कि पुलिस बाइकर्स को गिरफ्तार नहीं करती है. पुलिस बाइकर्स को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश भी करती है. जेल भी भेजती है. लेकिन गवाह न मिलने के चलते केस कमजोर होता चला जाता है. आरोपियों को जमानत मिल जाती है. केस लम्बे समय से तक चलता रहता है. आखिर में एक गवाह न होने के चलते आरोपी बरी हो जाते हैं. नाम न लिखने की शर्त पर कभी अलीगढ़ में तैनात रहे एक एसपी ने बताया कि बाइकर्स का आंतक अब शहर से होकर गांव-देहात में भी फैल गया है.

इन इलाकों में है बाइकर्स ग्रुप का आतंक
खासतौर से क्वार्सी, हरदुआगंज, जवां, अकराबाद आदि इलाकों में बाईकर्स ग्रुप का आतंक हो गया है. यहां जगह-जगह जमीन की प्लाटिंग हो रही है. इस प्लाटिंग में बाइकर्स ग्रुप सक्रिय हो गए हैं. डीलर से हिस्सेदारी मांगते हैं. बस इसी बात को लेकर टकराव होने लगता है. बीन कालिया, जीतू चौधरी और धीरा ठाकुर की हत्या की वजह के पीछे रंजिश तो थी ही, लेकिन साथ में जमीनी विवाद भी जुड़ गया था. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि अभी तक सात मर्डर और दर्जनों गोलीबारी, धमकाने, वसूली करने जैसे अपराधों में कोई भी एक गवाह सामने नहीं आया है. बस इसी का फायदा उठाकर बाइकर्स ग्रुप घटनाओं को अंजाम दे रहा है.

लूटमार और वसूली है बाइकर्स का पेशा
स्थानीय लोगों की मानें तो दोनों बाइकर्स ग्रुप के बीच लड़ाई की एक बड़ी वजह शहर में हनक को लेकर है. शहर में हमारे ग्रुप की ज्यादा चलती है ये होड़ दोनों ही ग्रुप में बनी रहती है. पुलिस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ग्रुप के लड़के शहर में लोगों से लूट करना, मोबाइल, पर्स, सोने की चेन छीनना और लोगों से वसूली, धमकाना जैसे काम करते हैं. कई बार अलग-अलग ग्रुप के लड़के पकड़े भी गए हैं. इसी से ग्रुप का खर्चा भी चलता है.

सूत्र बताते हैं कि बाइकर्स ग्रुप के दबंग सदस्य शहर में वसूली करते हैं. दुकानदार, व्यापारी और दूसरे लोगों को डरा-धमकाकर रुपये ऐंठते हैं. रुपये न देने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी देते हैं. शहर में लोग आए-दिन ग्रुप की गैंगवार देखते रहते हैं. इसीलिए डर के चलते और किसी पचड़े में पड़ने के बजाए लोगों इनकी डिमांड पूरी करते रहते हैं.

बाइकर्स को मिला है राजनीतिक संरक्षण
जानकारों की मानें तो शहर के दोनों ही बड़े बाइकर्स ग्रुप को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है. ऐसे ही कुछ राजनीतिक लोगों के इशारे पर बाइकर्स ग्रुप शहर के जमीन, लेन-देन या फिर दूसरे बड़े विवादित मामलों में लोगों को धमकाने का काम भी करते हैं. जमीनी विवाद में हुए कुछ हत्याकांड और लोगों को डराने और धमकाने के मामलों में बाइकर्स ग्रुप के सदस्यों के नाम सामने आए हैं.

बाइकर्स के घर ढिंढोरा पीटती है पुलिस
पुलिस बाइकर्स गैंग से इस कदर परेशान हो चुकी है कि उसने अब लोगों को गैंग से अलर्ट करना शुरू कर दिया है। हर दो-तीन महीने बाद इलाका पुलिस बाइकर्स के घर पहुंच जाती है। माइक के जरिए लोगों का बताना शुरू करती है कि इस घर में रहने वाला फॅला युवक बाइकर है। यह शहर में हुड़दंग करता है। आप इससे सजग रहें। इसके और बाइकर दोस्‍त भी आपकी कॉलोनी में रहते हैं।

 

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