भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेशाध्यक्ष का चयन इसी माह के मध्य तक होने की संभावना है। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के लिए उपयुक्त प्रदेश के बीजेपी नेताओं को स्थानीय निकाय और 2019 के लोकसभा चुनाव की कसौटी पर परख रहा है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की भांति किसी युवा को ही पार्टी के प्रदेश संगठन की बागडोर सौंपी जाएगी। पार्टी में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धान्त को अपनाते हुए केशव प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय नेतृत्व से पहले ही प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं।
काशी क्षेत्र के अध्यक्ष व एमएलसी लक्ष्मण आचार्य का नाम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर चर्चा में है। आचार्य दलित हैं और पहले ये भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में शामिल थे। इसके अलावा दलित अध्यक्ष बनने की चर्चा में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व बछरावां से एमएलए रामनरेश रावत और बाराबंकी की सांसद प्रियंका रावत भी शामिल हैं।
दलित भी बन सकता है अध्यक्ष
पार्टी नेतृत्व की नजर बसपा के वोट बैंक पर है। उस वोट बैंक को भाजपा के पाले में खींचने के प्रयास किए जा रहे हैं और इसकी कोशिश किसी दलित को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से की जा सकती है। साथ ही यह भी है कि सरकार में उपमुख्यमंत्री जैसे किसी बड़े पदों पर कोई दलित वर्ग का नहीं है। ऐसे में संगठन के बड़े पद पर ही दलित को बिठा कर कमी को पूरा करने का प्रयास किया जा सकता है। इसके साथ ही अति पिछड़ों में शामिल गुर्जर जाति का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की भी संभावना है।
गुर्जर जाति
गुर्जर जाति का प्रदेश अध्यक्ष बनने की बात इसलिए की जा रही है क्योंकि पश्चिम जिलों से गुर्जर जाति के पांच विधायक बने हैं। इस जाति का कोई मंत्री भी नहीं हो सका। ऐसे में गुर्जर जाति के पार्टी के प्रदेश महामंत्री और चुनाव में ब्रज क्षेत्र के प्रभारी अशोक कटारिया का नाम चर्चा में है। कटारिया का नाम इसलिए भी लिया जा रहा है क्योंकि विधानसभा चुनाव में की गई मेहनत के बूते पर वे पार्टी के प्रदेश महामंत्री सुनील बंसल के भरोसेमंद सिपहसालार बन गए हैं
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