एक्सक्लूसिव: ऑपरेशन व्हाईट कोट- नामी अस्पतालों का हुआ स्टिंग ऑपरेशन , खुली पोल

गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज अपनी जिंदगी बचाने के लिए बड़े और नामी अस्पतालों का रुख करते हैं या फिर कहे उन्हे छोटे अस्पताल से बड़े सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है। लेकिन इन बड़े अस्पतालों में मरीजों को सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने का जरिया समझा जाता है। रेफर करने वाले छोटे अस्पतालों और डाक्टरों को कमीशन देकर ये बड़े अस्पताल मरीजों को अपने यहां रेफर कराते हैं और फिर इलाज,सर्जरी और ऑर्गन ट्रांसप्लांट के नाम पर उनसे भारी-भरकम कमाई करते हैं। कोबरपोस्ट की तहकीकत “OPERATION WHITE COAT” में सामने आया कि Fortis Hospital (Mumbai और बैंगलुरू), Noida के JP Hospital और Metro Hospital, गाज़ियाबाद के Yashoda Hospital और Columbia Asia Hospital (बैंगलुरू की ब्रांच भी), MAX Hospitals (नई दिल्ली में Saket और Patparganj स्थित), Apollo Hospital (नई दिल्ली और बैंगलुरू), BLK Super Speciality Hospital, नई दिल्ली; मुंबई के Nanavati Super Speciality Hospital, Hiranandani Hospital, Asian Heart Institute, Seven Hills Hospital और Jaslok Hospital; बैंगलुरू के Narayana Hrudayalaya College of Nursing and Mallya Hospital जैसे 20 बड़े अस्पतालों में कमीशन या फिर कहे रेफेरल कट का घिनौना काम खुलेआम हो रहा है।

कोबरापोस्ट विशेष संवाददाता उमेश पाटिल एक छोटे अस्पताल का नुमाइंदा बनकर देश के इन नामी बड़े प्राइवेट हास्पिटल्स के कॉर्पोरेट रिलेशन्स हैड, सेल्स एंड मार्केटिंग हैड, मार्केटिंग मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजर स्तर के अधिकारियों से मिले। और हर जगह पाया कि ये नामी अस्पताल छोटे अस्पतालों और डाक्टरों को मरीज भेजने के एवज में मोटा कमीशन यानि रेफेरल कट देते हैं। कैमरे पर इनके कबूलनामें कुछ इस तरह है:

-मुनाफ़ा कमाने के लिए छोटे अस्पतालों और डॉक्टर को रेफेरल कूट यानि कमिशन के तौर पर दस से पेंतीस फीसदी तक कमिशन।

-हर अस्पताल का रेफेरल कूट देने का तरीका अलग है।

-निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर को कमिशन कॉन्सल्टेशन फी के तौर पर दिया जाता है।

-कमिशन के अलावा डॉक्टर को महंगे गिफ्ट भी दिये जाते है।

-रेफेरल के इस काम को अंजाम देने के लिए इन बड़े होस्पिटल्स का विशाल नेटवर्क है।

– MCI Code of ethics Regulations, 2002 Chapter 6 Unethical Acts के मुताबिक कोई physician किसी तरह का gift, gratuity, commission or bonus किसी मरीज को refer या recommend के नाम पर नहीं ले सकता। ये पूरी तरह से गलत है।

जेपी हॉस्पिटल,नोएडा

इसी कड़ी में सबसे पहले हमारी मुलाक़ात हुई नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में डिप्टी मैनेजर (सेल्स एंड मार्केटिंग) अमित कुमार बंदोपाद्धाय से। अमित कुमार ने पहली ही मुलाकात में अस्पताल में चल रहे कमिशन के खेल के बारे में खुलकर बात की। अमित कुमार ने हमे बताया कि रेडियो थेरेपी में ये 10 परसेंट कमिशन देंगे और कीमो थेरेपी में तो हर साइकिल पर कमिशन दिया जाएगा। यानि जितनी बार मरीज कीमो थेरेपी के लिए जेपी हॉस्पिटल आएगा हर विजिट पर जेपी हॉस्पिटल 10 परसेंट कमिशन देगा। इनहोने बताया कि चाहे किसी भी बीमारी का मरीज क्यों ना हो, या भले ही इलाज के दौरान मरीज की मौत ही क्यों ना हो जाए लेकिन रेफर करने वाले का कमिशन नहीं मरेगा, उसे हर हाल में कमिशन मिलेगा। आगे अमित ने हमारी मुलाकात जेपी हॉस्पिटल के सीनियर मैनेजर डी.के. भारद्वाज से कराई। सीनियर मैनेजर डी.के. भारद्वाज ने रेट लिस्ट और कमिशन के मोड ऑफ पेमेंट पर खुल कर बात की। जेपी हॉस्पिटल के इन लोगों ने इंटरनेशनल पेशंट पर बीस से पच्चीस परसेंट कमिशन देने की बात भी की।

मेट्रो हॉस्पिटल, नोएडा

रेफर के बदले रेफेरल कट यानि कमिशन देने वाले बड़े प्राइवेट अस्पताल और रेफर करने वाले छोटे अस्पताल या डॉक्टर ये दोनों पार्टी मिलकर मरीज़ को इस बात की कानों-कान खबर नहीं होने देते कि इन दोनों के बीच मरीज को लेकर क्या डील हुई है। कभी हजारों में तो कभी लाखों में कमिशन का ये खेल पूरी तरह मरीज़ की आंखों में धूल झोंककर खेला जाता है। जेपी हॉस्पिटल के बाद हमने रुख़ किया मेट्रो हॉस्पिटल का। यहा हमारी मुलाकात हुई मेट्रो हॉस्पिटल में असिस्टेंट मैनेजर बिलाल अहमद खान से। बिलाल ने हमे बताया कि इन का कांटैक्ट देश भर में कई सौ डॉक्टर से है जो इन्हे कमिशन के बदले पेशंट रेफर करते है।बिलाल के मुताबिक कमिशन कैश में दिया जाता है और इंटरनेशनल पेशंट पर ये तो तीस से पेंतीस फीसदी तक है। हमारी पेशेंट रेफर की बात पर बिलाल ने तुरंत हमारी मीटिंग अपने कॉर्पोरेट हैड प्रणव सिन्हा से कराई। प्रणव मेट्रो हॉस्पिटलस के 12 अस्पतालों के कॉर्पोरेट रिलेशंस हैड हैं। प्रणव ने हमें 10 परसेंट कमिशन देने की बात की और इस बातचीत में आगे ये भी मालूम चला कि कैसे महज़ 30 हजार के स्टंट पर मेट्रो हॉस्पिटल भारी भरकम खर्च और पैकेज दिखाकर मरीजों से लाखों वसूल रहा है।

ईमेल द्वारा संपर्क करने पर मेट्रो हॉस्पिटल ने बताया कि उनके हॉस्पिटल किसी तरह के अनैतिक काम में संलिप्त नहीं है। पूरे जवाब के लिए नीचे क्लिक करे।

मैक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल,साकेत, दिल्ली

OPERATION WHITE COAT में हमारा अगला पड़ाव था दिल्ली के साकेत इलाके में स्थित मैक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल।यहाँ हॉस्पिटल के मैनेजर बिज़नस डेव्लपमेंट सुमित ने बताया कि वो हमें 10 परसेंट रेफरलकट देंगे और यही इनका फिक्स रेट है।कमिशन की रेट लिस्ट मांगने पर सुमित ने MEDICAL COUNCIL OF INDIA का हवाला देकर हमें कमिशन की लिस्ट देने से मना कर दिया। ज्यादा जानकारी के लिए सुमित ने हमे मेक्स हास्पिटल के एसिस्टेंट मैनेजर मुस्तफा के पास भेजा। मुस्तफा ने हमें बताया कि इनके कॉन्टेक्ट दिल्ली-NCR के करीब 400 डॉक्टरों से हैं। जो इनके यहां कमिशन पर मरीज़ रेफर करते हैं। बतौर मुस्तफा साकेत स्थित मैक्स अस्पताल हर महीने 20 से 25 लाख रुपये कमिशन रेफर करने वाले डॉक्टरों और अस्पतालों को बांटता है। मुस्तफा ने आगे बताया कि रुपया कमाने के लिए कई बार मैक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल मरीज को बिना जरूरत के भी एक-दो दिन के लिए वेंटिलेटर पर डाल देता है। ताकि बिना कुछ किए ही इनकी मोटी कमाई होती रहे। यहां हम आपको बता दें कि बतौर मुस्तफा वेंटिलेटर का एक दिन का चार्ज 80 हजार रूपये से एक लाख रूपये के बीच है। इतना ही नहीं रेफर करने वाले डॉक्टर को हॉस्पिटल का कंसलटेंट डॉक्टर बताकर ये उसके कमिशन को फीस का नाम दे देते हैं। साथ ही छोटी बीमारी वाले मरीजों के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है। जिन बीमारियों का इलाज सस्ते में हो जाए उन बीमारी वाले मरीजों को अस्पताल भर्ती करने से कतराता है।

 

मैक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज, दिल्ली

कोबरपोस्ट टीम ने आगे रुख किया मैक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज का। यहा हमारी मुलाक़ात हुई हॉस्पिटल के डिप्टी मैनेजर बिज़नस डेव्लपमेंट आशीष सिंह से। रेफर के बदले कमिशन के अलावा आशीष ने बताया कि किस बीमारी के मरीज से अस्पताल को सबसे ज्यादा फायदा होता है और इससे रेफर करने वालों की भी खूब कमाई होती है। आशीष के मुताबिक ट्रीटमंट के नाम पर एक ही मरीज को बार बार एड्मिट करने पर हॉस्पिटल और रेफर करने वाले को ज्यादा कमाई होती है। इतना ही नहीं रेफर करने वाले डॉक्टरों को ना सिर्फ मैक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल मोटा कमिशन देते हैं बल्कि जो डॉक्टर मरीज का इलाज कर रहा है वो भी रेफर करने वाले को कमिशन देता है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, दिल्ली

OPERATION WHITE COAT में अगला मुकाम था दिल्ली का सबसे मशहूर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल। अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर मैनेजर मार्केटिंग राम नरेश भगतने बताया कि angioplasty, रेडियो थेरेपी और knee replacement पर 10% कमिशन है, kidney transplant पर कोई fix नहीं है, liver पर 50 हज़ार fix है। इसके अलावा IPT के patient के total bill पर 10% कमिशन मिलेगा। अंतर्राष्ट्रीय मरीजों को रेफर करने पर ये अस्पताल कितना कमिशन देता है। तो इस सवाल का जवाब हमें अपोलो हॉस्पिटल के एसिस्टेंट मैनेजर विपिन शर्मा से मिला। विपिन ने हमें बाहर के देशों से आए मरीजों को रेफर करने पर पूरे इलाज का 15 फीसदी कमिशन देने की बात कही।

BLK Super Speciality Hospital,दिल्ली

पेशंट रेफर करने के बदले कमिशन का कारोबार दिल्ली के BLK Super Speciality Hospital में भी खुले आम चल रहा है।हॉस्पिटल में बतौर सीनियर मैनेजर विनय के मुताबिक दिल्ली के सभी प्राइवेट अस्पतालों में ये खेल जारी है, और इसी खेल के दम पर ये अस्पताल कमाई कर रहे हैं। यही नहीं कमिशन लेन-देने के इस गोरखधंधे ने अस्पातलों के बीच कॉम्टीशन के हालात पैदा कर दिए हैं। कैसे ये अस्पताल रेफर करने वाले डॉक्टरों का कमिशन सेट करते हैं। किस बीमारी के मरीज पर कितना कमिशन देना है ये सब कैसे निर्धारित किया जाता है? इस बारे में भी विनय ने हमें सबकुछ खुलकर बताया। विनय के मुताबिक हॉस्पिटल 12% रेफेरल कट यानि कमिशन देता है। इसके अलावा पंद्रह से बीस हज़ार रुपए बाइपास सर्जरी पर, बारह से पंद्रह हज़ार रुपए स्टंट पर और डेढ़ से दो लाख रुपए लीवर ट्रांसप्लांट पर देते है।

कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल,गाज़ियाबाद

ऑपरेशन व्हाइट कोट के तहत कोबरपोस्ट रिपोर्टर उमेश पाटिल ने कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल गाज़ियाबाद का दौरा किया। मलेशिया के प्रसिद्द हेल्थ केयर ग्रुप कोलंबिया एशिया के पूरे एशिया में 28 संस्थान हैं। कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल गाज़ियाबाद के मार्किटिंग हैड सत्यनारायणन के मुताबिक रेफेरल कट हम किसी भी तरह से ले सकते है। इलाज पर होने पर खर्च का 10 परसेंट या फिर फिक्स अमाउंट के तौर पर। महज़ एक मरीज पर 10 परसेंट कमिशन देने वाला ये अस्पताल करीब 7 करोड़ रुपया इसी तरीके से कमाता है। इसके लिए बाकायदा अस्पताल में मार्किंटिंग एक्सपर्ट की टीम है, जो छोटे डॉक्टरों और अस्पतालों में जाकर कमिशन के बदले मरीज रेफर कराती है।

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा

रेफेरल कट का ये खेल फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा में भी धड़ल्ले से चल रहा था। यहाँ हमारी मुलाक़ात फोर्टिस हॉस्पिटल के डिप्टी मैनेजर निशांत चौहान से हुई। निशांत के मुताबिक जिस बीमारी के इलाज के लिए यहां फिक्स पैकेज निर्धारित किया गया है सिर्फ उसी पर कमिशन दिया जाता है। इसके अलावा निशांत ने किस बीमारी पर कितना खर्च और कितने खर्च पर कितना कमिशन दिया जाता है उसकी पूरी रेट लिस्ट भी बताई।

 

यशोदा सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल, गाज़ियाबाद

कुछ इसी तरह का हाल कौशांबी गाज़ियाबाद स्थित यशोदा सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल का भी था। यहाँ के मैनेजर मार्किंटिंग नागेन्द्र की माने तो यशोदा अस्पताल भी एक बिजनेस फर्म की तरह है जिसका मकसद रुपया कमाना है। अगर कोई मरीज एक बार इनके चंगुल में फंस जाए तो ये उसे जल्दी से डिस्चार्ज नहीं करते। जब तक ये उससे मनचाही कमाई न कर लें। बक़ौल नागेन्द्र इस मोटी कमाई के लिए ही तो डॉक्टरों ने इतनी पढ़ाई की है और जो कंपनियां मरीजों के लिए महंगे पार्ट्स बनाती हैं, वो अगर पैसा नहीं कमाएंगी तो खर्चा कैसे चलाएंगी। इसलिए डॉक्टर मरीजों को महंगे इलाज और सर्जरी कराने के लिए बोलते हैं।

डॉ एलएच हीरानन्दानी हॉस्पिटल, मुंबई

दिल्ली एनसीआर के बाद कोबरपोस्ट रिपोर्टर उमेश पाटिल ने मुंबई के अस्पतालों की स्थिति भी मालूम करनी चाहिए और रुख किया मुंबई के पोवाई इलाके के मशहूर डॉ एलएच हीरानन्दानी हॉस्पिटल का। यहाँ मैनेजर मार्किंटिंग भगत सिंह ने हमें प्रपोजल तैयार कर उसे ईमेल करने की बात कही। आगे बातचीत के दौरान इन्होंने हमसे मरीजों का ब्यौरा भी पूछ लिया। मसलन हमारे पास किस-किस बीमारी के कितने मरीज़ हैं। जैसे ही हमारे रिपोर्टर ने इनके सवालों का जवाब दिया। ये भी खुल्लम खुल्ला कमिशन की बातें करने लगे।

फोर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल, मुंबई

ऑपरेशन फोर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल व्हाइट कोट में की भी सच्चाई सामने आई।फोर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल के सीनियर मैनेजर मार्किंटिंग शुभेंदु भट्टाचार्य ने रेफेरल कट का पूरा रेटकार्ड हमारे सामने कंप्यूटर पर खोल दिया। शुभेंदु भट्टाचार्य ने बताया कि इनके तार 200 से 300 डॉक्टरों से जुड़े हैं। जो इनके अस्पताल को मरीज़ रेफर करते हैं और बदले में इनसे मोटा कमिशन भी वसूलते हैं। इसके अलावा शुभेंदु खुद भी मानते हैं कि जिस काम को ये अंजाम रहे हैं वो पूरी तरह से गलत और कानून के खिलाफ है।

ASIAN HEART इंस्टीट्यूट, मुंबई

अगला पड़ाव था दिल की गंभीर बिमारियों के इलाज के लिए मशहूर मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स इलाके का ASIAN HEART इंस्टीट्यूट। यहाँ एसिस्टेटं मैनेजर मार्किंटिंग एंड सेल्स मिलिंद मेहता ने न सिर्फ रेफेरल कट के बारे में बताया बल्कि उन छोटे अस्पतालों में से एक ऐसे अस्पताल का भी जिक्र किया जो इन्हें कमिशन पर महीने भर में 40-50 लाख का बिजनेस (पेशेंट रेफर) देता है।

अपना पक्ष रखते हुए ASIAN HEART इंस्टीट्यूट ने कहा कि मिलिंद मेहता का दिखाया गया बयान सौ फीसदी झूठा है। हॉस्पिटल का पूरा जवाब जानने के लिए नीचे क्लिक करे।    

सेवन हिल्स हॉस्पिटल, मुंबई

मुंबई के अँधेरी इलाके में बना मशहूर सेवन हिल्स हॉस्पिटल, हमारा अगला मुकाम। अस्पताल के एसिस्टेंट जनरल मैनेजर शिव कुमार ने रेफेरल कट के बारे में खुल कर बात की। इसके बाद सेवेन हिल्स हॉस्पिटल के सीनियर मैनेजर वीरेन्द्र ने हमें बताया कि इनका 1500 डॉक्टर्स और करीब 250 छोटे अस्पतालों से टाई अप है। जो इन्हें मरीज सप्लाई करते हैं और बदले में ये उन्हें मोटा कमिशन देते हैं। यही नहीं वीरेन्द्र ने आगे बताया कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने इन्हें हर महीने 13 करोड़ की कमाई का टारगेट भी दे रखा है।
अपना पक्ष रखते हुए सेवेन हिल्स हॉस्पिटल ने बताया कि उनका हॉस्पिटल एमसीआई की गाइड लाइन का पालन करते है और किसी भी अनैतिक काम में संलिप्त नहीं है। सेवेन हिल्स हॉस्पिटल का पूरा जवाब जानने के लिए नीचे क्लिक करे

नानावती सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, मुंबई

ऑपरेशन व्हाइट कोट के तहत ये है मुंबई के वीले पार्ले स्थित नानावती सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल। क्या रेफेरल कट की फेहरिस्त में ये अस्पताल भी शुमार है ? अस्पताल में खुद को रेफरेल टीम का हेड बताने वाले अरविंद मौर्या ने हमे अपना कमिशन एजेंट (रिटेनर) बनने का ऑफर दे दिया। यहां तक कि इसने हमें बताया कि इनके साथ काम करने पर हम हर महीने ढाई से तीन लाख रुपये कमा सकते हैं।साथ ही अरविंद ने बताया कि इस काम में कई डाक्टर भी शामिल है।

अपना पक्ष रखते हुए नानावती सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने बताया कि उनका हॉस्पिटल किसी भी अनैतिक काम में संलिप्त नहीं है और अपना काम पूरी पारदर्शिता से करते है। नानावती सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का पूरा जवाब जानने के लिए नीचे क्लिक करे।

जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई

कोबरपोस्ट टीम ने मुंबई की पेडर रोड स्थित जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का रुख किया। यहां मार्केकिंग डिपार्टमेंट में काम करने वाले सुबोध ने रेफेरल कट का रेटकार्ड बताया। मसलन लीवर ट्रांसप्लांट के पेशेंट भेजने पर कमिशन के तौर पर पूरा एक लाख रुपया ये अस्पताल देता है।
अपना पक्ष रखते हुए जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने बताया कि हमारे ईमेल से उन्हे निराशा हुई। जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का पूरा जवाब जानने के लिए नीचे क्लिक करे।

फोर्टिस हॉस्पिटल, बैंगलुरू

मुंबई के बाद ऑपरेशन व्हाइट कोट में हमारा अगला मुकाम था बैंगलुरू। बैंगलुरू के फोर्टिस हॉस्पिटल के मार्किंटिंग मैनेजर परवेज सज्जाद ने रेफेरल कट के नाम पर तुरंत हमें कहा Than u r make me a right person..i will handle the cases यानी आपने एकदम सही इंसान को चुना है, मैं आपके सारे मामले हैंडल कर लूंगा। फोर्टिंस हॉस्पिटल के मैनेजर यूनिट सेल्स एंड मार्किंटिंग ने हमें टोटल बिल पर 5 परसेंट कमिशन देने की बात कही। जिसमें किसी तरह की कोई कैपिंग भी नहीं होगी। कैमरे पर इन्होंने ये भी कबूल किया कि इनका टाईअप दूसरे अस्पतालों से भी है। जो इन्हें मरीज भेजते हैं और बदले में इनसे मोटा कमिशन लेते हैं।

 

हमारे ईमेल के जवाब में अपना पक्ष रखते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल, बैंगलुरू ने बताया एक जिम्मेदार हैल्थकेयर होने के नाते वो कानूनी और नियामक अनुग्रह के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही हम पूरे मामले की जांच भी करेंगे। फोर्टिस हॉस्पिटल, बैंगलुरू का पूरा जवाब जानने के लिए नीचे क्लिक करे।

अपोलो हॉस्पिटल, बैंगलुरू

दिल्ली की ही तर्ज पर बैंगलुरु में भी अपोलो हॉस्पिटल का बड़ा नाम है। बैंगलुरू के अपोलो हॉस्पिटल में हमारी मुलाकात हुई यहां के सीनियर मैनेजर नितेज से, जब हमने इन्हें मरीज रेफर करने की बात कही और बदले में रेफरलकट के बारे में पूछा, तो इन्हें हमसे कहा कि ये अपने सीनियर से पूछकर हमें बताएंगे। हालांकि जब हमारे रिपोर्टर ने इनसे पूछा कि क्या बाकी अस्पतालों के साथ भी इनका टाईअप है, क्या ये उन्हें कमिशन देते हैं। जवाब में सीनियर मैनेजर साहब ने भी कह दिया कि ये हमारा बिजनेस है
बैंगलुरू के अपोलो हॉस्पिटल में सबसे अलग नियम कानून हैं। यहां 10 मरीज भेजने के बाद ही अस्पताल से इकट्ठा कमीशन मिलता है। ये बात खुद हॉस्पिटल के सीनियर मैनेजर ने हमारे कैमरे पर कबूल की। कमिशन का पैसा यहां न चैक से दिया जाता है और न ही यहां कैश चलता है। 10 मरीजों के इलाज पर जो भी कमिशन बनेगा उसका पूरा पैसा इकट्ठा NEFT के जरिए आपके खाते में पहुंच जाएगा।
ईमेल का जवाब देते हुए अपोलो हॉस्पिटल, बैंगलुरू ने बताया कि उनके हॉस्पिटल में नितेज नाम का कोई स्टाफ नहीं है और न ही अपोलो हॉस्पिटल किसी तरह का कोई कमिशन या रेफेरल कट किसी डॉक्टर या हॉस्पिटल को नहीं देता है। हॉस्पिटल का पूरा जवाब जानने के लिए नीचे क्लिक करे।

कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, बैंगलुरू

ऑपरेशन व्हाइट कोट में आगे जा पहुंचे बैंगलुरू के हेब्बल इलाके में बने कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल । अस्पताल के मैनेजर कुमार हिरेमत से मरीज रेफर करने के बदले रेफरलकट पर खुलकर रेटलिस्ट पर बात की। कुमार ने बातचीत में साफ कह दिया कि हॉस्पिटल सात परसेंट कमिशन सिर्फ उन्हीं अस्पतालों और डॉक्टर्स को देता हैं जिनसे इनका टाईअप यानी डील हो चुकी है।
अपना पक्ष रखते हुए कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, बैंगलुरू ने बताया कि उनका हॉस्पिटल किसी तरह का कोई कमिशन या रेफेरल कट किसी डॉक्टर या हॉस्पिटल को नहीं देता है। हॉस्पिटल का पूरा जवाब जानने के लिए नीचे क्लिक करे।

नारायणा हृदयालय कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग, बैंगलुरू

बैंगलुरू के नारायणा हृदयालय कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग में भी कुछ इसी तरह का खेल चल रहा है। यहां हमारी मुलाकात हॉस्पिटल के मार्किटिंग मैनेजर एंथनी सग्याराज से हुई। ये हमें हर मरीज पर 10 परसेंट कमिशन देने को राजी हो गए। साथ ही इन्होंने हमें बताया कि कमिशन की जो रकम रेफर करने वाले डॉक्टर को दी जाएगी, उसे विजिटिंग कंसलटेंसी फीस का नाम दे दिया जाएगा।
इसके अलावा इन्होने आगे कहा कि ये एक और अस्पताल की मार्किंटिंग टीम से हमारी सेटिंग करा देंगे।

माल्या हॉस्पिटल, बैंगलुरू

बैंगलुरू में माल्या हॉस्पिटल एक जाना माना नाम है। कोबरापोस्ट टीम की जैसे-जैसे माल्या ह़स्पिटल के बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर टी.सोमा शेखर से हमारी बातचीत आगे बढ़ी…हकीकत परत-दर-परत खुलती चली गई। जो शख्स 5 मिनट पहले तक ये कह रहा था कि इनके अस्पताल में कमिशन और रेफरल कट का कोई सिस्टम नहीं है, वो 5 हजार, 10 हजार और 15 हजार तक कमिशन मिलने की बात कहता दिखाई दिया। आगे बातचीत में इस शख्स ने हमसे कहा कि अगर हम अस्पतालों में सर्जरी से जुड़े केस भेजेंगे तो बदले में डॉक्टर हमें अच्छा कमिशन भी देंगे। यहां डॉक्टर ही रेफर करने वाले डॉक्टरों को कमिशन देते हैं।

अपना पक्ष रखते हुए माल्या हॉस्पिटल, बैंगलुरू ने बताया कि उन्होने बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर टी.सोमा शेखर को एक सप्ताह के लिए सस्पैंड कर फ़ाइनल वार्निंग लेटर दिया है। हॉस्पिटल का पूरा जवाब जानने के लिए नीचे क्लिक करे।

ये हाल देश के किसी एक अस्पताल का नहीं बल्कि खास बात ये है कि बड़े शहरों के नामी हॉस्पिटल्स में ये धंधा खुलेआम चल रहा है। छोटे अस्पतालों की बड़े हॉस्पिटल्स से मरीजों पर डील होती है। जो मरीज यहां इलाज कराने आते हैं उन्हें भी कानों कान इस बात की भनक तक नहीं लगती कि उनका सौदा हो चुका है। वो बेचे जा चुके हैं। यहां तक कि इन्हें बेचने वाले को जो पैसे दिए जाएंगे वो भी इन्हीं की जेब से निकाले जाएंगे। ये भी मरीजों को पता नहीं लग पाता। हैरत की बात ये है कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट के साथ-साथ डॉक्टर भी इस काली कमाई के धंधे में शामिल हैं।

 

source – CobraPost