एक रुपया भी खर्च किए बगैर यूं स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसा बना रहा है रेलवे

हबीबगंज (मध्य प्रदेश)-  देश के कुल 8,495 रेलवे स्टेशनों में एक है भोपाल का हबीबगंज। ज्यादातर दूसरे स्टेशनों की तरह ही यहां भी आने-जाने वालों के लिए कोई चेक पॉइंट नहीं है। पार्सल और पैसेंजरों की आवाजाही के लिए कोई अलग से ठोस व्यवस्था नहीं है, न ही बाहर पार्किंग की कोई सुविधा। रही सही कसर वेंडरों की बेतरतीब भीड़ से पूरी हो जाती है। लेकिन, अब ऐसा लंबे वक्त तक नहीं चलने वाला। हबीबगंज स्टेशन अगले साल के आखिर तक बिल्कुल नए रूप में आने वाला है।

नई व्यवस्था में रेल यात्रियों के लिए 3,024 स्क्वैयर मीटर का एक बड़ा सा हॉल बननेवाला है। स्टेशन पर छह लिफ्ट, 11 एस्केलटर, तीन ट्रैवलेटर, दो सबवे, एक पार्सल कॉरिडोर, एक वॉकवे और 14,037 स्क्वैयर मीटर का एक पार्किंग एरिया जिसमें 284 कारें और 829 दोपहिया वाहन के अलावा 5 बसें भी एक साथ खड़ी की जा सकें, का निर्माण होना है। कुल मिलाकर 6,778 स्क्वैयर मीटर जमीन पर काम करने का ब्लूप्रिंट तैयार है। तस्वीर देखें…

अब सवाल उठता है कि रेलवे को इस पर कितना पैसा खर्च करना होगा? जवाब है- एक रुपया भी नहीं। हबीबगंज का कायाकल्प करने के लिए 100 करोड़ रुपया भोपाल की कंपनी बंसल ग्रुप देगी। 2,000 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर वाली यह कंपनी सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, खनन, लोहा और स्टील आदि के क्षेत्र में काम करती है। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक बदले में बंसल ग्रुप को रेलवे की 17,245 स्क्वैयर मीटर जमीन 45 साल के लिए लीज पर मिलेगी जहां वह 400 करोड़ रुपये की लागत से एक व्यापार केंद्र, एक अस्पताल, एक सम्मेलन कक्ष, एक सस्ता होटल और आलीशान होटल बनाएगा।

रेलवे का फाइनैंसल टेंप्लेट बिल्कुल सामान्य है। 7.5 लाख हेक्टेयर की जमीन वाले रक्षा क्षेत्र के बाद 4.76 लाख हेक्टेयर जमीन के साथ देश का दूसरा सबसे बड़ा ‘जमीन मालिक’ भारतीय रेलवे ने अपने 400 स्टेशनों के आसपास की 1,092 हेक्टेयर जमीन के आधुनिकीकरण की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर डाल रखा है। 31 मार्च 2017 तक के आंकड़े के मुताबिक रेलवे काी जमीन के तीन-चौथाई हिस्से के इस्तेमाल रेल पटरियों और संरचनात्मक ढांचों में होने और 862 हेक्टेयर पर अतिक्रमण होने के बाद भी 51,648 हेक्टेयर जमीन खाली पड़ी है।

 

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