नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने 12वीं कक्षा के लिए इतिहास , नागरिक शास्त्र और हिंदी बस में कुछ बदलाव किए हैं. हालांकि, यह बदलाव पिछले साल ही कर लिए गए थे लेकिन बाजारों में किताबें अब छपकर आई हैं. एनसीईआरटी के अनुसार, सिलेबस में जो बदलाव हुआ है वह देश भर के उन सभी स्कूलों पर लागू होगा जहां एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जा रही हैं. ये बदलाव मौजूदा एकेडमिक सेशन (2023-24) से लागू किए जाएंगे. चलिए आपको बताते हैं कि इसमें क्या कुछ बदलाव हुए हैं और क्या-क्या हटाया गया है.
क्या हटाया गया
- गांधी को वह लोग विशेष रूप से नापसंद करते थे जो चाहते थे कि हिंदू बदला लें या जो चाहते थे कि भारत हिंदुओं के लिए एक देश बने, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान मुसलमानों के लिए था.
- हिंदू-मुस्लिम एकता के उनकी दृढ़ कोशिश ने हिंदू चरमपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधीजी की हत्या के कई प्रयास किए.
- गांधीजी की मृत्यु का देश में साम्प्रदायिक स्थिति पर लगभग जादुई प्रभाव पड़ा. भारत सरकार ने साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर नकेल कस दी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया.
- एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों का तीसरा और अंतिम संदर्भ कक्षा 11 की समाजशास्त्र की पाठ्यपुस्तक ‘अंडरस्टैंडिंग सोसाइटी’ से हटा दिया गया है.
- एनसीईआरटी ने एक पैराग्राफ को हटा दिया है जो इस बारे में बात करता है कि कैसे वर्ग, धर्म और जातीयता अक्सर आवासीय क्षेत्रों के अलगाव का कारण बनती है और फिर यह 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा का हवाला देती है कि कैसे सांप्रदायिक हिंसा यहूदी बस्ती को आगे बढ़ाती है
- 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब से ‘थीम्स इन इंडियन हिस्ट्री पार्ट III’ में, परिषद ने गोडसे के लिए एक “ब्राह्मण” संदर्भ को हटा दिया है और कहा कि वह “एक चरमपंथी हिंदू समाचार पत्र के संपादक” थे.
दरअसल, पिछले साल एनसीईआरटी ने बच्चों के भार को कम करने के लिए सभी विषयों के सिलेबस में बदलाव किया था. एनसीईआरटी का कहना था कि इससे बच्चों को जल्दी सिलेबस कवर करने में मदद मिलेगी. हिंदी की किताब से कुछ कविताएं और पैराग्राफ भी हटा दिए गए हैं. मुगल काल के शासकों और उनके इतिहास पर आधारित अध्यायों को थीम्स ऑफ़ इंडियन हिस्ट्री पार्ट II नामक किताब से हटा दिया गया है. नागरिक शास्त्र की किताब से ‘विश्व राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व और शीतयुद्ध का दौर जैसे पाठ पूरी तरह से हटा दिए गए हैं.