अबकी बार आम आदमी पार्टी में तख्तापलट की तैयारी है और इस तैयारी में कुमार विश्वास आक्रामक मुद्रा में हैं और अरविंद केजरीवाल रक्षात्मक
ये लोग मानते हैं कि कुमार विश्वास के खिलाफ बोलने वाले विधायक अमानतुल्लाह खान तो सिर्फ मोहरा थे और इसका असली निशाना थे अरविंद केजरीवाल. कुमार विश्वास के पार्टी में बढ़ते प्रभाव की वजह से ही उन अमानतुल्लाह खान को पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी से इस्तीफा देना पड़ा जिन्हें केजरीवाल माना जाता है. लेकिन बात यहीं रुकने वाली नहीं है. सुनी-सुनाई है कि अबकी बार दिल्ली में तख्तापलट की तैयारी है और इस तैयारी में कुमार आक्रामक मुद्रा में हैं और केजरीवाल रक्षात्मक.
आम आदमी पार्टी में एक चर्चा जोर पकड़ रही है कि अरविंद केजरीवाल को जल्द ही दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है. पिछले दो दिनों में जो हुआ वह उनके खिलाफ खुली बगावत का संकेत है. दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 66 विधायक हैं. केजरीवाल के विरोधी – कुमार विश्वास – गुट के समर्थक दावा कर रहे हैं कि 40 विधायक अरविंद केजरीवाल का साथ छोड़ना चाहते हैं.
ये लोग मानते हैं कि कुमार विश्वास के खिलाफ बोलने वाले विधायक अमानतुल्लाह खान तो सिर्फ मोहरा थे और इसका असली निशाना थे अरविंद केजरीवाल. कुमार विश्वास के पार्टी में बढ़ते प्रभाव की वजह से ही उन अमानतुल्लाह खान को पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी से इस्तीफा देना पड़ा जिन्हें केजरीवाल माना जाता है. लेकिन बात यहीं रुकने वाली नहीं है. सुनी-सुनाई है कि अबकी बार दिल्ली में तख्तापलट की तैयारी है और इस तैयारी में कुमार आक्रामक मुद्रा में हैं और केजरीवाल रक्षात्मक.
मई का महीना अरविंद केजरीवाल की सियासत के लिए बेहद अहम है. इसी महीने चुनाव आयोग आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों पर चल रहे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के केस का फैसला सुनाने वाला है. सूत्र बताते हैं कि चुनाव आयोग को मिले ज्यादातर सबूत 21 विधायकों के खिलाफ ही हैं. ऐसा लग रहा है कि केजरीवाल की पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता जा भी सकती है.
ऊपर से केजरीवाल विरोधी खेमा एक-एक कर केजरीवाल के फैसलों के खिलाफ सवाल उठा रहा है. ऐसा पहली बार हुआ है जब उनके खिलाफ आम आदमी पार्टी के विधायक खुलकर बोल रहे हैं. कुमार विश्वास के एक करीबी विधायक बताते हैं कि अमानतुल्लाह के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता. असली मुद्दा अब दिल्ली सरकार के काम करने का तरीका है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव ही अब पार्टी को बचा सकता है.
केजरीवाल की तरफ से अब तक जितनी कोशिशें की जा रही हैं, असफल हो रही है.
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