भारत के पहले नागरिक के रूप से पहचाने जाने वाले नागरिक को हम राष्ट्रपति कहते हैं। वर्तमान में भारत गणराज्य के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हैं, जिनका कार्यकाल आगामी 25 जुलाई 2017 को पूरा होने जा रहा है।
जिसके बाद अब भारत को अब एक नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया में कई चरण होते है। 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव हैं, आइए जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया से जुड़ी अहम बातें…
क्या है राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
भारत में राष्ट्रपति चुनाव अप्रत्यक्ष मतदान से होता है। लोगों की जगह उनके चुने हुए प्रतिनिधि राष्ट्रपति को चुनते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचन मंडल या इलेक्टोरल कॉलेज करता है।
इसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। इसमें राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य मतदान में हिस्सा नहीं लेते हैं। दो केंद्रशासित प्रदेशों, दिल्ली और पुडुचेरी के विधायक भी चुनाव में हिस्सा लेते हैं जिनकी अपनी विधानसभाएं हैं।
क्या है सांसदों और विधायकों की वोटों का मूल्य
राष्ट्रपति चुनाव में अपनाई जानेवाली आनुपातिक प्रतनिधित्व प्रणाली की विधि के हिसाब से प्रत्येक वोट का अपना मूल्य होता है। सांसदों के वोट का मूल्य निश्चित है मगर विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या पर निर्भर करता है।
1971 की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या को वहां की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से भाग दिया जाए, परिणाम में जो भी संख्या आए, उसे फिर से 1000 से भाग दिया जाए।
इसके बाद जो परिणाम निकलेगा, वह उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होगा। जैसे देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है तो सबसे कम जनसंख्या वाले प्रदेश सिक्किम के वोट का मूल्य मात्र सात।
दूसरी ओर प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 है। देशभर के 4120 विधायकों और 776 सांसदों को मिलाकर चुनाव मंडल बनता है। उनके मतों का कुल मूल्य 10 लाख 98 हजार 882 बनता है और जीतने के लिए 5 लाख 49 हजार 442 मत की जरूरत है।
Fourth India News Team
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