खत्म हुआ बोफोर्स का ग्रहण, 43 साल बाद फिर से इतिहास रचेगा पोखरण

राजस्थान के जैसलमेर का पोखरण कस्बा आज फिर से सुर्खियों में है। 18 मई 1974 को भारत के अपने पहले परमाणु परीक्षण के बाद यह विश्व मानचित्र पर आ गया था। ठीक 43 वर्ष बाद बृहस्पतिवार को पोखरण एक बार फिर से दुनिया की निगाहों में होगा, जब भारतीय सेना अमेरिका के बीएई सिस्टम से मिली दो हॉवित्जर तोप का परीक्षण करेगी।

आज ही के दिन 1974 में पोखरण में पहला परीक्षण कर भारत ने दुनिया को चौंका दिया था इस परीक्षण के सफल होने के बाद वैज्ञानिकों ने कोड वर्ड में इसकी सफलता का सन्देश देते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को बताया था कि बुद्धा इज स्माइलिंग। परमाणु परीक्षण में जिस बम का इस्तेमाल किया गया था ​उसका वजन 1400 किलोग्राम था। यह परीक्षण पोखरण के मल्का गांव के एक सूखे कुएं में किया गया था। भारत संयुक्त राष्ट्र का सदस्य न होते हुए ऐसा करने वाला पहला देश बना था। आज एक बार फिर यह इतिहास दोहराया जाना है।

 

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