इलाहाबाद- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजियाबाद स्थित विशेष सीबीआई अदालत के एक जज को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एक विचाराधीन कैदी की जमानत याचिका मंजूर किए जाने के एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी ‘जमानत के बांड के सत्यापन के बहाने’ उसे हिरासत में रखने के लिए जारी किया गया है।
न्यायमूर्ति तरण अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजुल कुमार की खंडपीठ ने 31 मई को यह आदेश पारित किया जिसमें सीबीआई के भ्रष्टाचार निरोध विशेष जज अनिल कुमार झा को नोटिस जारी किया गया और गाजियाबाद के जिला जज को जांच कर छह सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया।
अदालत ने झा से पूछा कि ‘‘ कारण बताएं कि आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए और यदि याचिकाकर्ता को मुआवजा दिया जाता है तो मुआवजे की यह राशि आपके वेतन से क्यों न वसूली जाए।’’ यह आदेश ज्योतिबा फुले नगर की रहने वाली कविता की याचिका पर पारित किया गया। कविता को बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है और इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।
कविता की जमानत याचिका 20 अप्रैल को मंजूर कर ली गई थी। उनके वकील असीम कुमार राय ने कहा कि कविता ने अनुरोध किया है कि उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखने के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए और नुकसान की भरपाई भी की जानी चाहिए।
अदालत ने सीबीआई को सुनवाई की अगली तारीख 18 जुलाई को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
read more- भाषा
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