मेडिकल कॉलेज में मौत की सूचना पाकर बांसगांव संसदीय सीट से भाजपा सांसद कमलेश पासवान भी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। भाजपा सांसद ने भी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की वजह से मौतों की पुष्टि की है।
महज 69 लाख रुपये के बकाए को लेकर मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन की सप्लाई देने वाली फर्म ने हाथ खड़े कर दिए थे। इसके चलते लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट में गुरुवार को गैस खत्म हो गई तो जंबो सिलेंडरों और अम्बू बैग से मरीजों की जान बचाने की कोशिश होती रही लेकिन शुक्रवार की शाम तक 24 मासूम जान से हाथ धो बैठे। इनमें 14 मासूम इंसेफेलाइटिस वार्ड और 10 एनएनयू (न्यू नेटल यूनिट) में भर्ती थे। छह और गंभीर रोगियों की मौत हुई है। इस जानकारी के बाद प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। कमिश्नर अनिल कुमार ने मोदी इंपीरियल के मालिक को फोन करके 205 ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाया, तब जाकर कुछ स्थिति कुछ सामान्य हो सकी।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर खींचतान काफी दिनों से चल रही थी। इसे लेकर सप्लाई देने वाली फर्म पुष्पा सेल्स की ओर से कई बार मेडिकल कॉलेज प्रशासन को नोटिस भी भेजा गया था। हर बार सप्लाई ठप करने की चेतावनी दी जाती थी। इसके बाद भी फर्म का बकाया चुकाने को लेकर गंभीर प्रयास नहीं किए गए। नतीजतन बृहस्पतिवार को मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन का संकट खड़ा हो गया। आधी रात को सप्लाई बंद हुई तो 50 के करीब मरीज बेहोशी की हालत में जा पहुंचे। यह हाल देखकर मौके पर तैनात डॉक्टरों के हाथ-पांव फूलने लगे। जिम्मेदारों ने ऑक्सीजन की व्यवस्था के लिए जोर आजमाइश शुरू कर दी, लेकिन इससे पहले मामले में बरती गई लापरवाही की कीमत 48 जिंदगियों को खोकर चुकानी पड़ी।
Dept handling oxygen supply wrote to authorities on 3&10 Aug to infrm of shortge as Pushpa Sales stoppd supply ovr pending paymnt #Gorakhpur pic.twitter.com/FDKl8hlx1H
— ANI UP (@ANINewsUP) August 12, 2017
सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) सहित शहर के अन्य बड़े नर्सिंग होम से भी ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाया गया। मेडिकल कॉलेज के सूत्रों ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी का सबसे ज्यादा खामियाजा बच्चों को भुगताना पड़ा है। शुक्रवार को सुबह 10 बजे के बाद से इंसेफेलाइटिस पीड़ित 13 बच्चों की मौत हुई है। इससे पहले भी इंसेफेलाइटिस और अन्य बीमारियों से परेशान 12 बच्चों की मौत हुई थी। इन आंकड़ों को मिला लिया जाए तो पिछले 36 घंटे में 25 बच्चों की मौत हुई है। ऑक्सीजन की कमी की वजह से पांच और बड़े लोगों की मौत भी हुई है। शुक्रवार को दिनभर मेडिकल कॉलेज में रोना-पीटना मचा रहा। तमाम लोग हाथों में बच्चे का शव लेकर जाते देखे गए।
कुशीनगर के रामकोला फरेंद गांव के रहने धर्मेंद्र ने 10 दिन के बच्चे को मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया था लेकिन ऑक्सीजन की कमी की वजह से बच्चे की मौत हो गई। इससे पूरा परिवार गमजदा है। इस संबंध डीएम राजीव रौतेला का कहना है कि 10 और 11 अगस्त को 30 मौतें हुई हैं लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं थी। पहले ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर ली गई थी। वहीं, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्रा इस गंभीर घटना को लेकर बेपरवाह दिखे। उन्होंने घटना के तत्काल बाद अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया।
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 32 बच्चों की मौत की खबरों को सरकार ने बेबुनियाद ठहराया है। सरकार ने दावा किया है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी रोगी की मौत नहीं हुई है। जिलाधिकारी मौके पर रहकर हालात का जायजा ले रहे हैं। मीडिया में दिखाई जा रही रिपोर्ट को भ्रामक बताते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती सात मरीजों की मौत अन्य कारणों से हुई है न कि ऑक्सीजन की कमी से।