नयी दिल्लीः नक्सलियों के आतंक से छत्तीसगढ़ को मुक्त कराने के लिए सरकार ने बड़ा प्लान तैयार किया है. सरकार ने तय किया है कि रेड काॅरिडोर में पनाह लेनेवाले नक्सलियों को या तो सरेंडर के लिए मजबूर कर दिया जाये या उनका खात्मा कर दिया जाये. इसके लिए सुकमा के जंगलों में जल्द ही ‘आॅपरेशन आॅलआउट’ शुरू किया जायेगा.
नक्सलियों के खात्मे का जिम्मा कोबरा कमांडोज को सौंपा गया है. ये वे कमांडोज हैं, जिनकी आहट भर से नक्सली अपनी मांद में छुप जाते हैं. नक्सली भी मानते हैं कि एक बार ये कमांडोज सामने आ गये, तो उनकी (नक्सलियों की) मौत निश्चित है.
दरअसल, रेड काॅरिडोर में छिपे नक्सली जंगल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ होते हैं. वे इसी का फायदा उठाते हैं और जब भी सुरक्षा बलों के जवान जंगल में पैट्रोलिंग के लिए जाते हैं, उन पर छिप कर हमला कर देते हैं.
लेकिन, जब कोबरा कमांडोज अपने हथियारों के साथ इन्हीं जंगल में उतरते हैं, तो नक्सली अपनी जान बचा कर भाग जाते हैं. इसलिए इन्हें बड़ी जिम्मेदारी और पूरी छूट दी जा रही है. ऐसे में उम्मीद है कि नक्सली अब सुकमा जैसे अपने गढ़ में भी बच नहीं पायेंगे.
सुकमा के जंगलों में नक्सली गुरिल्ला युद्ध के जरिये जवानों को अपना निशाना बनाते हैं. नक्सलियों की कमर तोड़ने और उनका सफाया करने के लिए ही सरकार ने ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ शुरू करने का निश्चय किया है. इसी के तहत इस पूरे इलाके में कोबरा कमांडोज को तैनात किया जा रहा है. ये कमांडोज नक्सलियों की मांद में घुस कर उनका खात्मा करेंगे.
यदि नक्सली सरेंडर नहीं करते हैं, तो उनको ऑपरेशन के तहत खत्म कर दिया जायेगा. हाल ही में सुकमा में नक्सलियों के हमले में 25 जवानों को खोने के बाद केंद्र सरकार ने इस पूरे इलाके में कोबरा बटालियन के दो हजार जांबाजों को तैनात करने का फैसला लिया है.
कोबरा कमांडोज के लिए न तो यह जगह नयी है, न ही नक्सलियों की ओर से किया जानेवाला युद्ध. ये कमांडोज अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं और इन्हें विशेष प्रशिक्षण देकर फौलाद बना दिया जाता है.
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