ऑडिटर रिपोर्ट में कर्ज लेने वाले या जमाकर्ता का नाम, पता और स्थायी खाता संख्या (पैन) के साथ भुगतान के तरीके की भी विस्तृत जानकारी देनी होगी यानी यह बताना होगा कि भुगतान के लिए एकाउंट पेयी चेक या बेयरर चेक का इस्तेमाल किया गया है या फिर उसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अंजाम दिया गया है।
अब तक की व्यवस्था के अनुसार ऑडिटर को अचल संपत्ति के लोन या पुनर्भुगतान के मामले में 20 हजार रुपये से ज्यादा के लेन-देन की सिर्फ जानकारी देनी होती थी, लेकिन अब हर ऐसी जानकारी को तय फार्मेट में भरना होगा।
गौरतलब है कि आयकर कानून के तहत सालाना 50 लाख रुपये की कमाई करने वाले पेशेवरों और एक करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए अपने खातों का ऑडिट कराना अनिवार्य है। कंपनियों के मामले में आकलन वर्ष 2018-19 से टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दी गई है।