
नई दिल्ली: दार्जिलिंग में चल रहे आंदोलन का असर 90 किलोमीटर दूर बागडोगरा में भी दिख रहा है. बागडोगरा एयरपोर्ट पर टैक्सी वाले पिछले एक हफ्ते से परेशान है. टैक्सी वाले मोहनदास कहते हैं कि पिछले एक हफ्ते से काम का बुरा हाल है. दंगा फसाद चल रहा है. जान जोखिम में डालकर नहीं जा सकते. मोहनदास दिन में 3000 रुपए तक कमा लेते हैं लेकिन कुछ काम नहीं है. टैक्सी वालो का कहना है कि मई-जून- जुलाई सीज़न के लिहाज से अच्छा होता है लेकिन अब टूरिस्ट नही आ रहे हैं.
टूरिस्ट और कामकाजी लोग बेहाल
पंडयन सेना में नौकरी करते हैं. पांड्यन और उनका परिवार चैन्नई से बागडोगरा एयरपोर्ट पहुँचा और उन्हें गंगटोक जाना है. पिछले एक घंटे से टैक्सी के इंतज़ार में बेहाल हैं. कोई टैक्सी वाला जाने के लिए तैयार नही है. पांड्यन कहते हैं अब देखते हैं कैसे जाएंगे, प्रोटेक्शन लेकर जाना पड़ेगा.
7 महीने के बच्चे समेत बागडोगरा में फंसा एक परिवार
चंडीगढ़ से 2 लाख रुपये खर्च करके घूमने आए निखिल बागडोगरा भी परेशान हैं. निखिल को परिवार के साथ गंगटोक घूमने जाना था लेकिन बागडोर में टैक्सी नही मिल रही. निखिल अपने ट्रेवल एजेंट को इसका जिम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि दार्जिलिंग भी जाना है, ट्रेवल एजेंट ने कहा माहौल ठीक है लेकिन अब यहां आए हैं तो फ़ोन नही उठा रहा. निखिल चिंता में हैं कि अगर उनके साथ महीने के बच्चे को कुछ हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा.
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