
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्य नाथ सरकार ने 354 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बनाने के लिए पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार द्वारा छह कंपनियों को दिए गए ठेके रद्द करने का फैसला कर लिया है। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार जल्द ही इस बाबत कैबिनट में एक प्रस्ताव पेश करेगी और उसके बाद नए सिरे से ठेके देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पूर्वांचल एक्सप्रेस यूपी के गाजीपुर से प्रदेश की राजधानी लखनऊ को जोड़ने वाला सड़कमार्ग होगा।
यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि पिछली सरकार द्वारा दिए गए ठेके इसलिए रद्द किए जाएंगे क्योंकि अभी तक इसके लिए भूमि अधिग्रहण नहीं किया जा सका है। मंत्री महाना ने दावा किया कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लिए ठेका दिए जाने तक केवल 33 प्रतिशत जमीन ही खरीदी जा सकी थी। महाना ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “जब जमीन उपलब्ध होगी तो नई निविदा (टेंडर) निकाली जाएगी। इस परियोजना की लागत भी पहले से कम होगी।”
सूत्रों के अनुसार यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीईआईडीए) ने मंगलवार (23 मई) को इस आशय का प्रस्ताव मंजूर कर लिया। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद ही पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था। पूर्वांचल एक्सप्रेस गाजीपुर को वाया बाराबंकी, अमेठी, फैजाबाद, अंबेडकर नगर, आजमगढ़ और मऊ होते हुए लखनऊ से जोड़ेगा।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की अनुमानित लागत 19 हजार करोड़ रुपये थी जिनमें से 12 हजार करोड़ रुपये निर्माण के लिए और बाकी सात हजार करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण के लिए आवंटित थे। इस परियोजना से लखनऊ और गाजीपुर के बीच की दूरी पांच घंटे कम करने का लक्ष्य है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अखिलेश सरकार ने नवंबर 2015 में निविदा की प्रक्रिया शुरू की थी। 2015 के अंत तक अखिलेश सरकार ने छह कंपनियों एनसीसी, अशोका बिल्डकॉन, पीएनसी, गायत्री कंस्ट्रक्शन, एफकॉंन्स एंड लार्सन एंड टुब्रो को एक्सप्रेसवे के आठ अलग-अलग खंड के निर्माण का ठेका देने के लिए चुना था।
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