फसल बीमा योजना: आधी से अधिक आबादी बेखबर

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभालने के कुछ ही समय बाद नई फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी। मकसद था देश के किसानों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाना। लेकिन हाल ही में भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण, इरडा द्वारा कराये गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि देश के आधे से अधिक लोगों को फसल बीमा के बारे में जानकारी ही नहीं है। इरडा के सर्वेक्षण के अनुसार फसल बीमा के बारे में महज़ 35 प्रतिशत परिवारों को ही जानकारी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 39 प्रतिशत परिवार फसल बीमा के बारे में जानते हैं जबकि शहरी क्षेत्रों में महज़ 32 फीसदी परिवारों को इसके बारे में पता है। यह सच है कि बीते 2-3 वर्षों में फसल बीमा का दायरा लगातार बढ़ा है और आगे भी इसमें और वृद्धि का अनुमान है, लेकिन इसके बावजूद किसानों के बीच इसका अब तक पूरी तरह से लोकप्रिय नहीं हो पाना चिंताजनक। इस समय सरकार के लिए यही चुनौती भी है कि फसल बीमा का दायरा तेज़ी से कैसे बढ़ाया जाए और इसके नियम व शर्तों को कैसे सरल बनाया जाए ताकि प्रत्येक किसान लाभान्वित हो सके।

भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण ने अपने इस सर्वेक्षण को 4 प्रमुख हिस्सों में बांटा था। सर्वेक्षण में पाया गया कि देश के पश्चिमी हिस्सों में फसल बीमा के बारे में जागरूकता सबसे अधिक 51 प्रतिशत है। इसके अलावा राज्यवार जागरूकता में हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ 87.5 प्रतिशत के साथ सबसे आगे हैं। दूसरी ओर चंडीगढ़, असम, मेघालय, मिज़ोरम और पुद्दुचेरी में जागरूकता का स्तर 10 फीसदी से भी कम है।फसल बीमा का उद्देश्य कीट-रोग संक्रमण और विपरीत मौसम के चलते फसल को होने वाले नुकसान से किसानों को बचना है। फसल बीमा के स्वरूप और इसके सीमित दायरे को देखते हुए कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अभी भी अपने प्रयोगिक चरण में है। बीमा की किश्त, बीमा कवर और दावा निपटान यानि क्लेम सेटलमेंट जैसे पहलू अभी भी परीक्षण के दौर में हैं।

बीमा का दायरा कम होने के पीछे एक वजह इसकी शर्तें भी हैं। फसल बीमा योजना, मालिकाना हक वाले किसानों को तो बीमा कवर उपलब्ध करवाती है लेकिन किराए पर खेती करने वालों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। बीमा का दायरा बढ़ाए जाने के लिए सरकार की कोशिश है कि नए माध्यमों से किसानों तक पहुँच बनाई जाए, उनमें जागरूकता फैलाई जाए।
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