New Delhi (Supreme Court): तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले की झूठी खबर फैलने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच प्रशांत उमराव की दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
पहली याचिका- ट्वीटर पर फेक न्यूज फैलाने को लेकर कई पुलिस थाने में उनके खिलाफ दर्ज FIR को एक साथ जोड़ने से संबंधित थी।
और दूसरी याचिका- उन्हें अग्रिम जमानत देते समय मद्रास हाईकोर्ट की तरफ से लगाई गई शर्तों के खिलाफ दायर की गई थी। कोर्ट ने कई पुलिस थाने में दर्ज FIR को जोड़ने की याचिका पर नोटिस जारी किया। साथ ही मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में बदलाव किया।
और उन्हें 10 अप्रैल को तमिलनाडु पुलिस थाने में पेश होने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की उस शर्त में बदलाव किया है जिसके तहत उसे 15 दिनों तक रोजाना सुबह 10.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना था। पटेल की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि आरोपी ने केवल उन खबरों को ट्वीट किया था जिन्हें पहले ही कई मीडिया एजेंसियों की ओर शेयर किया जा चुका था। पटेल ने डिलिट कर दिया है। फिर भी उनके खिलाफ FIR दर्ज किए जा रहे हैं, उन्हें परेशान किया जा रहा है। राज्य पुलिस की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जो शर्त लगाया है उसमें कुछ भी गलत नहीं है।