नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गैर निष्पादित परिसंपत्तियों के बोझ तले दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इस समस्या से राहत दिलाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को व्यापक नियामक अधिकार दिए जाने से संबंधित बैंक विनियमन संशोधन विधेयक आज लोकसभा में पेश किया। इसके जरिए सरकार द्वारा रिजर्व बैंक को फंसे कर्ज की वसूली के लिये जरूरी कारवाई शुरू करने संबंधी निर्देश देने के वास्ते व्यापक अधिकार दिए जाने की व्यवस्था की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की फंसी कर्ज राशि यानी गैर-निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) छह लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऊंचे अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच जाने के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।
बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन का अध्यादेश लाया गया था। जिसके तहत दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता 2016 में उपलब्ध प्रावधानों के तहत कर्ज वसूली नहीं होने की स्थिति में रिजर्व बैंक को किसी भी बैंकिंग कंपनी अथवा बैंकिंग कंपनियों को ऋण शोधन अथवा दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के लिए प्राधिकृत किया गया था।
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