वर्जिन ग्रुप के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन के मुताबिक, “मुझे विश्वास है कि वर्जिन हाइपरलूप वन 21वीं सदी के भारत पर वैसा ही असर करेगी जैसा 20वीं सदी में ट्रेनों ने किया था. राष्ट्रीय हाइपरलूप नेटवर्क के तहत पहले कॉरिडोर के लिए पुणे-मुंबई रुट एकदम मुफीद है.” बयान में ब्रैनसन ने यह भी कहा कि हाइपरलूप के जरिए भारत के तमाम बड़े शहरों के बीच यात्रा की अवधि दो घंटे में बदल जाएगी.
पुणे-मुंबई रुट पर हाइपरलूप नेटवर्क खड़ा करने के इरादे से ब्रैनसन ने महाराष्ट्र सरकार के साथ करार भी किया है. शुरुआती करार के बाद अब प्रोजेक्ट के फायदे नुकसान पर गहन शोध किया जाएगा. मुंबई से पुणे करीब 150 किलोमीटर दूर है. फिलहाल ट्रेन के जरिए मुंबई से पुणे जाने में करीब तीन घंटे लगते हैं. ब्रैनसन का दावा है कि हाइपरलूप इसे 25 मिनट का सफर बना देगी.
2013 में टेस्ला के प्रमुख इलॉन मस्क ने एक सुरंग में निर्वात पैदा कर फिसलते हुए तेज यात्रा का आइडिया पेश किया. बाद में उनके आइडिया को दूसरों ने अमली जामा पहना दिया. अमेरिका में हाईपरलूप वन नाम की एक कंपनी भी बन गई. अक्टूबर 2017 में वर्जिन ने हाईपरलूप वन कंपनी से करार कर लिया और फुल सिस्टम हाईपरलूप बनाने की राह पर आगे बढ़ने का फैसला किया.
वर्जिन हाईपरलूप वन को लगता है कि इस तकनीक के जरिए जमीन पर भी हवाई जहाज जितनी तेज यात्रा की जा सकती है. इस तकनीक के तहत एक सुरंगनुमा ट्यूब में एक कैप्सूल होती है. यात्री इसी कैप्सूल में बैठेंगे. बेहद कम दबाव वाली हवा के बीच चुंबकीय बल का इस्तेमाल कर कैप्सूल ट्रैक से ऊपर उठेगी. फिर लो एयरोडॉयनैमिक ड्रैग के चलते कैप्सूल हवा में फिसलते हुए 1,125 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पकड़ेगी.