नयी दिल्ली ,20 सितम्बर 2023 , भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली की शक्ति हमारी संसद में प्रकट होती है, जिसने औपनिवेशिक शासन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को झेला और कई ऐतिहासिक पड़ाव देखे हैं। मौजूदा भवन ने स्वतंत्र भारत की पहली संसद के रूप में कार्य किया है और भारत के संविधान को अपनाया है। इस प्रकार, संसद भवन की समृद्ध विरासत का संरक्षण और नवीकरण किया जाना राष्ट्रीय महत्व का विषय है। भारत की लोकतांत्रिक भावना का प्रतीक, संसद भवन सेंट्रल विस्टा के केंद्र में अवस्थित है। ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन की गई भारत का वर्तमान संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसके निर्माण में छह वर्ष (1921-1927) लगे। मूल रूप से “हाउस ऑफ़ पार्लियामेंट” कहे जाने वाले इस इमारत में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद कार्यरत थी।
अधिक स्थान की मांग को पूरा करने के लिए वर्ष 1956 में संसद भवन में दो और मंजिलें जोड़ी गईं। भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत के 2,500 वर्षों को प्रदर्शित करने के लिए संसद संग्रहालय को वर्ष 2006 में जोड़ा गया। आधुनिक संसद के उद्देश्य के अनुरूप इस इमारत को बड़े पैमाने पर संशोधित किया जाना था।
अब नई संसद की आवश्यकता,
संसद भवन का निर्माण वर्ष 1921 में शुरू किया गया और वर्ष 1927 में इसे प्रयोग में लाया गया। यह लगभग 100 वर्ष पुराना एक विरासत ग्रेड-I भवन है। गत वर्षों में, संसदीय कार्यों और उसमें काम करने वाले लोगों और आगंतुकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। संसद भवन के मूल डिजाइन का कोई अभिलेख या दस्तावेज नहीं है। इसलिए, नए निर्माण और संशोधन अस्थायी रूप से किए गए हैं। उदाहरण के लिए, भवन के बाहरी वृत्तीय भाग पर वर्ष 1956 में निर्मित दो नई मंजिलों से सेंट्रल हॉल का गुंबद छिप गया है और इससे मूल भवन के अग्रभाग का परिदृश्य बदल गया है। इसके अलावा, जाली की खिड़कियों को कवर करने से संसद के दोनों सदनों के कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश कम हो गया है। इसीलिए, यह अधिक दबाव और अतिउपयोग के संकेत दे रहा हैं तथा स्थान, सुविधाओं और प्रौद्योगिकी जैसे मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
भवन के आकार के बारे में प्रारंभिक विचार-विमर्श के बाद, दोनों आर्किटेक्ट, हर्बर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस द्वारा एक गोलाकार आकार को अंतिम रूप दिया गया था क्योंकि यह काउंसिल हाउस के लिए एक कालीज़ीयम डिजाइन का अनुभव देती थी। ऐसा माना जाता है कि मुरैना, (मध्य प्रदेश) में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के अद्वितीय गोलाकार आकार ने परिषद भवन के डिजाइन को प्रेरित किया था, हालांकि इसके कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं। सांसदों के बैठने की संकीर्ण जगह, तंग बुनियादी ढाँचा, अप्रचलित संचार संरचनाएं, सुरक्षा सरोकार, कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त कार्यक्षेत्र।
नए संसद भवन की आधारशिला 10 दिसंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी. इसका निर्माण कार्य 15 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ और यह करीब ढाई वर्ष में तैयार हुआ है. नया संसद भवन त्रिकोण आकार का है लेकिन वास्तव में यह एक अनियमित षटकोण है, सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत इसका निर्माण कराया गया है। आपको बताते चले कि नई संसद भवन का डिजाइनर बिमल पटेल, आर्किटेक्ट,है। नए संसद भवन के डिजाइन को देश के मशहूर आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने तैयार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद का उद्घाटन किया था। ये नई संसद 971 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुई है, जिसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है।
संसद भवन उस शक्ति का प्रतीक है और यह 888 लोकसभा सीटों और 384 राज्यसभा सीटों की बढ़ी हुई बैठने की क्षमता वाली एक संरचना है। यह परिसीमन अभ्यास में जनगणना की भूमिका पर प्रकाश डालता है, जो 2026 के कुछ समय बाद होगा,संसद में कितने कमरे हैं:
एक लोकसभा के स्पीकर, एक राज्य सभा के चेयरमैन, सांसदों के प्रवेश के लिए एंट्रेंस-1 और पब्लिक के लि एंट्रेंस-2 है, नए संसद भवन में कुल 120 ऑफिस हैं, जिसमें कमिटी रूम, मिनिस्ट्री आफ पार्लियामेंट्री अफेयर्स के आफिस, लोक सभा सेक्रेट्रिएट, राज्य सभा सेक्रेट्रिएट, पीएम ऑफिस है, लोकसभा चैंबर 3015 वर्ग मीटर एरिया में बना हैं।
@फोर्थ इंडिया न्यूज़ टीम
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