नयी दिल्ली ,10 जुलाई 2023 , विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), राज्यमंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह यहां एक समाचार एजेंसी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के हाल ही के राजकीय दौरे को महत्वपूर्ण अंतरिक्ष संबंधित समझौतों के रूप में चिन्हित किया गया था, जो यह दर्शाता है कि जिन देशों ने भारत से बहुत पहले अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी, वे आज भारत को एक समान सहयोगी के रूप में देख रहे हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन-काल में अंतरिक्ष मामले में बड़ी विशेषज्ञता हासिल करने के बाद, भारत चंद्रमा पर जाने के लिए और इंतजार नहीं कर सकता।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा अथवा चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग में भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के लिए आवश्यक जटिल मिशन प्रोफ़ाइल को बहुत सटीक तरीके से क्रियान्वित किया गया है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर आएगा और चंद्रमा पर 14 दिनों तक कार्य कर सकेगा। उन्होंने कहा कि रोवर पर कई कैमरों के सहयोग से हम तस्वीरें प्राप्त कर सकेंगे।
अंतरिक्ष कर्मियों के लिए एक सक्षम वातावरण प्रदान करने और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने जैसे अग्रणी निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पूर्ण श्रेय देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विकास की वर्तमान गति के आधार पर आने वाले वर्षों में हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा, चंद्रयान-3 मिशन के तीन प्राथमिक उद्देश्य हैं; (ए) चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का प्रदर्शन, (बी) चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन और (सी) इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन।
डॉ. सिंह ने याद दिलाया कि चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय चंद्रयान की श्रृंखला में प्रथम अर्थात् चंद्रयान-1 को दिया जाता है, जो दुनिया और सबसे प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक नई खोज थी और यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका का नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) इस खोज से आकर्षित हुआ .@फोर्थ इंडिया न्यूज़ टीम
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