मंच पर हत्या के अभियुक्त की मौजूदगी और योगी आदित्यनाथ का क़ानून राज?

 

 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को गोरखपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में क़ानून और व्यवस्था में परिवर्तन दिखा है और अगले एक महीने में राज्य में ये परिवर्तन और तेज़ दिखाई देगा.

योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में ये भी कहा, “जिन्हें क़ानून के राज में विश्वास नहीं है, वे लोग उत्तर प्रदेश अवश्य छोड़ दें. उनके दिन अब लद चुके हैं.”

इस संबोधन के ठीक बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में योगी आदित्यनाथ के साथ मंच पर निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी नज़र आए. वे मंच पर योगी आदित्यनाथ के पांव छूते दिखे और पूरे कार्यक्रम के दौरान वे मुख्यमंत्री के साथ स्टेज पर मौजूद थे.

अमनमणि त्रिपाठी महाराजगंज के नौतनवां से निर्दलीय विधायक हैं और उनपर अपनी ही पत्नी की हत्या करने का आरोप है. इस आरोप के अलावा उन पर अपहरण और मारपीट के मामले भी चल रहे हैं. उनकी मंच पर मौजूदगी के दौरान योगी आदित्यनाथ ने राज्य में क़ानून व्यवस्था को सुधारने की बात दोहराई.

बीजेपी का दोहरा मापदंड

मुख्यमंत्री के बयान और स्टेज पर अमनमणि त्रिपाठी की मौजूदगी पर समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बीबीसी से कहा, “ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार का दोहरा मापदंड है. राज्य की जनता ये देख रही है कि मुख्यमंत्री एक ओर क़ानून व्यवस्था की बात करते हैं तो दूसरी तरफ़ हत्या के आरोपी के साथ मंच शेयर करते हैं.”

इस मसले पर योगी आदित्यनाथ सरकार के ऊर्जा मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बीबीसी से कहा, “हमारी सरकार पहले दिन से कह रही है कि अपराधियों को या तो अपराध छोड़ना होगा या प्रदेश. जहां तक राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों पर चल रहे मामलों की बात है, उसकी सुनवाई हम फास्टट्रैक कोर्ट में कराने जा रहे हैं. इसमें जो दोषी होंगे वो जेल भेजे जाएंगे, जो निर्दोष निकलते हैं उनको आज़ादी मिलेगी.”


अमनमणि त्रिपाठी पर भी पत्नी सारा की हत्या का आरोप है और सीबीआई मामले की जांच कर रही है. इस मामले में अमनमणि की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. इस वजह से समाजवादी पार्टी सहित दूसरी पार्टियों ने चुनाव से पहले उनसे दूरी बनाई थी. हालांकि पहले वे समाजवादी पार्टी में रहे हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स के लखनऊ संस्करण की संपादक सुनीता एरॉन कहती हैं, “योगी आदित्यनाथ तो अब तक अपनी ओर से अच्छा संदेश देने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अमनमणि त्रिपाठी के साथ मंच शेयर करने से लोगों में अच्छा संदेश नहीं गया है.”

सरकार की नाकामी

सपा के राजेंद्र चौधरी ये भी आरोप लगाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक से लेकर आम कार्यकर्ता तक क़ानून व्यवस्था को अपने हाथ में ले रहे हैं और सरकार कुछ भी नहीं कर रही है.

उनके आरोपों में दम इसलिए भी उत्तर प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से बीते कुछ दिनों में भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक और समर्थकों द्वारा क़ानून व्यवस्था को हाथ में लेने की ख़बरें लगातार आ रही हैं.

सहारनपुर के स्थानीय सांसद राघव लखनपाल शर्मा के नेतृत्व में ज़िले के तत्कालीन एसएसपी लव कुमार के घर पर हमला हुआ और उसके बाद कुछ ही दिनों के अंदर लव कुमार का ट्रांसफर हो गया.

 

हालांकि राज्य के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने बीबीसी से बताया था कि इस मामले में इतनी कड़ी कार्रवाई की जाएगी कि ऐसी घटना रिपीट नहीं होगी.

लेकिन राघव लखनपाल शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और एसएसपी का ट्रांसफ़र हो गया.


इन सबसे क़ानून व्यवस्था की राज की छवि कैसे बनाई जा सकती है, इस सवाल पर श्रीकांत शर्मा कहते हैं, “किसी को भी क़ानून हाथ में लेने का अधिकार हमारी सरकार नहीं दे रही है. सहारनपुर मामले में जो भी लापरवाही हुई है, उसकी जांच की जा रही है. कोई भी पुलिस अधिकारी अगर चीज़ों को संभालने में सक्षम नहीं होता है तो उसपर भी कार्रवाई हो रही है.”

लेकिन मामला केवल सहारनपुर भर का नहीं है. बीते 20 अप्रैल को बरेली के सीतापुर में स्थानीय बीजेपी विधायक महेंद्र यादव के काफिले को जब टोलकर्मी ने रोका तो विधायक के समर्थकों ने उसकी कथित तौर पर जमकर पिटाई की.

आगरा में भी बजरंग दल के समर्थकों ने 23 अप्रैल को पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और पुलिस के गाड़ी जला दी. 27 अप्रैल को बरेली नवाबगंज से बीजेपी विधायक केसर सिंह के स्थानीय ग्रामीण बैंक के मैनेजर से मारपीट और उन्हें कई घंटे तक बंधक बनाने की ख़बरें आईं थीं.

कहां है क़ानून का राज?

27 अप्रैल को ही बराबंकी से बीजेपी की स्थानीय सांसद प्रियंका रावत ने एडिशनल एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह को भ्रष्ट क़रार देते हुए खाल खिंचवाने की धमकी दी.

राजेंद्र चौधरी के मुताबिक ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं और राज्य की जनता ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है. वे कहते हैं, “जनता को उम्मीद होती है कि सरकार कानून के मुताबिक काम करेगी. लेकिन योगी सरकार ने जो दिशा तय की है, वो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ख़तरा है. लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है. कहां है क़ानून का राज?”

सुनीता एरॉन इसे योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए बहुत बड़ा संकट मानती हैं. उन्होंने कहा, “योगी आदित्यनाथ बेहतर क़ानून व्यवस्था के नाम पर चुनाव जीतकर आए हैं. लेकिन उनकी सरकार और पार्टी के लोग विरोधाभाषी संकेत दे रहे हैं. यूपी के इतिहास में शायद पहली बार किसी एसएसपी के घर पर हमला हुआ है और जगह-जगह क़ानून व्यवस्था को हाथ में लेने की ख़बरें आ रही हैं.”

श्रीकांत शर्मा के मुताबिक उनकी सरकार लगातार कोशिश कर रही है ऐसी स्थिति नहीं आए और पार्टी के लोगों पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है. लेकिन वे इसे राज्य सरकार की छवि के लिए बड़ा संकट नहीं मानते.

श्रीकांत विपक्ष की आलोचना को भी बहुत तूल नहीं देते. वे कहते हैं, “आलोचना कौन लोग कर रहे हैं. ये देखिए. डायल 100 की बात करने वालों की सरकार में बलात्कार के आरोपी मंत्री थे. हमारी सरकार की छवि आम लोगों की नज़रों में बहुत बेहतर है.”

 

लेकिन राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि बीजेपी सरकार और उनके समर्थकों को ये नहीं भूलना चाहिए कि 60 फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों ने उन्हें अपना वोट नहीं दिया है.

 

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