सावन के तीसरे सोमवार (sawan third monday) पर शहर के सभी शिवालयों में महादेव का भव्य शृंगार के साथ भव्य पूजन हुआ। जलाभिषेक और दर्शन के दौरान मंदिरों में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किये गए। कहीं भस्म आरती हुई तो कहीं खूब दूध चढ़ाया गया। तीसरे सोमवार के चलते शिव मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ रविवार देर रात से ही लगी रही।
मंदिर और शिवालय में हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजते रहे। कांवड़ियां भोले के दर्शन के लिए रात से ही लम्बी कतारों में नजर आये। वहीं इस अवसर पर डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर में तीसरे सोमवार को विशेष श्रंगार किया गया है। महंत दिव्या गिरी ने भोले नाथ की आरती के साथ रुद्राभिषेक किया।
कानपुर में भी लगी रही भक्तों की भीड़
सावन के तीसरे सोमवार के दिन गंगा किनारे परमट मंदिर में आन्देश्वर बाबा के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में भक्त जन देखने को मिले। भक्तो की माने तो उन का कहना है कि आन्देश्वर बाबा के दर्शन जो कोई एक बार कर लेता है। उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यहां के भक्तो का कहना है कि इस पावन दिन पर आन्देश्वर बाबा सभी भक्तो को आन्नद बॉट रहे हैं। बताया जाता है कि गंगा के तट पर स्थित आन्देश्वर मंदिर में जितनी भीड़ होती होती है उतनी शायद किसी और ज्योर्तिलिंग मंदिर में नहीं होती होगी।
पांडेश्वर नाथ के दर्शन से होता है सारे कष्टों का निवारण
हम आपको (sawan third monday) भगवान पांडेश्वर नाथ के बारे में बता रहे हैं। जिनके दर्शन मात्र से ही सारे कष्टों का निवारण हो जाता है। जिनके दर्शन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। महाभारतकालीन इस मंदिर में भगवान महादेव की भक्ति की अविरल धारा बहती है। फर्रुखाबाद में रेलवे रोड स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की हर-हर महादेव की गूंज चारों ओर सुनाई देने लगती है।
सूर्योदय के साथ ही श्रद्धालु पूजा के लिए लंबी कतारों में लग जाते हैं। सावन के महीने में जलाभिषेक के लिए भोले भंडारी के भक्तों का तांता सूर्य की पहली किरण के साथ ही लगने लगता है। बम-बम भोले के जयकारे मंदिरों में गुंजयमान होने से वातावरण भी भक्तिमय हो जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में कई ऐसे शिवलिंग मौजूद है। जिनकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी। इनमें से कई शिवलिंग ऐसे है जिनके बारे में मान्यता है कि इनकी स्थापना स्वयं पांडवों ने की थीं। फर्रुखाबाद के इस पांडेश्वर नाथ मंदिर के बारे में भी मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भी पांडवों ने अज्ञातवाश के दौरान की थी। इसके साथ ये भी मान्यता है कि स्थापना के दौरान भगवान कृष्ण स्वंय मौजूद थे।
पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर की स्थापना की थी। इसीलिए इस मंदिर की मान्यता अधिक है, महाभारत में एकचक्रानगरी का जिक्र है। इसके मुताबिक गंगा के तट के पास राजा द्रुपद का किला था। चारों ओर जंगल ही जंगल थे, गंगा तट पर धौम्य ऋषि का आश्रम था जहां से धौम्य ऋषि स्वयंवर कराने काम्पिल्य गये थे। पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसी इलाके में शरण ली थी। पांडव मां (sawan third monday) कुंती के साथ एक पीपल के पेड़ के नीचे रहने लगे जहां उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की जो आज पांडेश्वरनाथ मंदिर पंडा बाग के नाम से जाना जाता है।
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