भोपाल। किसान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बड़ी ताकत रहे हैं, लेकिन अब यही किसान उनकी सरकार से नाराज हो चले हैं. किसानों में विद्रोह पनप रहा है, इस बात को सरकार समझ रही है और उसके भीतर इस बात का ‘डर’ भी घर करने लगा है कि तीन बार सत्ता सौंपने में अहम भूमिका निभाने वाले किसानों के मन में कहीं बदलाव का विचार तो नहीं होने लगा है.
राज्य में 13 सालों से बीजेपी सत्ता पर काबिज है जिसमें से 11 सालों से शिवराज मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं. इस दौरान राज्य को उपज के उत्पादन के मामले में एक नहीं, पांच बार ‘कृषि कर्मण पुरस्कार’ मिल चुका है और कृषि विकास दर देश में सबसे ज्यादा 20 प्रतिशत से ज्यादा चल रही है. मुख्यमंत्री कहते हैं कि ऐसा इसलिए संभव हुआ, क्योंकि किसानों को सरकार की ओर से पर्याप्त सुविधाएं दी गईं.
सरकार का दावा है कि किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मिल रहा है. इतना ही नहीं, खाद-बीज खरीदने के लिए मिलने वाले एक लाख के कर्ज पर बगैर ब्याज के 90 हजार रुपये लौटाने होते हैं. सिंचाई का रकबा सात लाख से बढ़कर 40 लाख रुपये तक पहुंच गया है.
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