कोलकाता : पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग हुई है. राजग के उम्मीदवार व नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पश्चिम बंगाल से राजनीतिक दल के गणित के हिसाब से छह विधायकों के वोट मिलने थे, इनमें तीन भाजपा व तीन गोरखा जनमुक्ति मोरचा के वोट थे, लेकिन श्री कोविंद को विधायकों के कुल 11 वोट मिले हैं. उन्हें पांच वोट अधिक मिले हैं, जबकि 10 विधायकों के वोट रद्द हो गये हैं.
उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस व वाम मोरचा ने कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों की उम्मीदवार मीरा कुमार को मत देने की घोषणा की थी, जबकि मीरा कुमार को पश्चिम बंगाल के विधायकों के कुल 273 मत मिले हैं. राज्य में कुल विधायकों की संख्या 294 हैं. तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस व वाम मोरचा के विधायकों की संख्या के अनुसार मीरा कुमार को 288 विधायकों के वोट मिलने चाहिए थे, लेकिन उन्हें 15 वोट कम मिले. इनमें पांच विधायकों ने क्रास वोटिंग की, जबकि 10 विधायकों के वोट रद्द हो गये.
उल्लेखनीय है कि मतदान के दिन भाजपा के विधायक व प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने आशंका जतायी थी कि चुनाव में क्रास वोटिंग हो रही है. तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष ने भी कहा था कि राष्ट्रपति चुनाव में नि:शब्द विप्लव हो रहा है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की आशंका सच साबित हुई. चुनाव परिणाम सामने अाने के बाद तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस व वाम मोरचा के आलाकमान ने क्रास वोटिंग करने वालों की तलाश शुरू कर दी है कि आखिर वे कौन पांच विधायक हैं, जिन्होंने क्रास वोटिंग की है तथा वे कौन 10 विधायक हैं, जिनके वोट रद्द हो गये हैं.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति चुनाव में मतदान पूरी तरह से गुप्त होता है तथा पहली बार चुनाव आयोग ने विशेष कलम की व्यवस्था की थी तथा उसी कलम से मतदान का प्रावधान किया गया था. किसी दूसरे कलम से मतदान करने या मतदाता पत्र में कोई चिह्न लगाने पर मत रद्द किये जाने का प्रावधान किया गया था.
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