
रक्षा क्षेत्र में आयात को कम करते हुए मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के मकसद से रक्षा मंत्रालय ने विदेशी कंपनियों के आगे डीआरडीओ को तरजीह देते हुए सेना के लिए मिसाइल बनाने के लिए उसे करीब 18,000 करोड़ रुपये का ठेका दिया.
सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की हुई बैठक में रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने यह फैसला लिया. डीएसी की इस बैठक में जमीन से हवा में मार करने वाली छोटी रेंज की मिसाइल का मुद्दा उठा, जहां सरकार को फैसला करना था कि वह विदेशी मिसाइल सिस्टम खरीदे या फिर जमीन से हवा में मार करने वाले आकाश मिसाइल को तरजीह दे. सूत्रों के मुताबिक, जेटली ने यहां देसी विकल्प को चुना.
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