लखनऊ : मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) में करीब डेढ़ करोड़ के वायर घोटाले में शुक्रवार को कमीश्नर डॉ. प्रभात कुमार ने अपने दफ्तर में बुलाकर तीन इंजीनियरों को गिरफ्तार करा दिया। तीनों इंजीनियरों पर मेरठ में बन रहे साइकिल ट्रैक में लगाने के लिए खरीदे गए बिजली के रबर कोटेड वायर में बड़ा गोलमाल करने का आरोप है।
साइकिल ट्रैक के लिए खरीदा गया था बिजली वायर
करीब दो साल पहले डीएम कंपाउंड और साइकिल ट्रैक के लिए बिजली का कोटेड वायर अंडरग्राउंड डालने के लिए खरीदा गया। करीब डेढ़ करोड़ का वायर खरीद के बावजूद यहां ट्रैक और सड़क बनाने में इस्तेमाल नहीं किया गया। सड़क बना दी गई और वायर स्टोर में ही पड़ा रहा। बाद में कार्यभार बदल गए तो नए इंजीनियर ने कहा कि सड़क बनने के बाद पूर्व में खरीदे गए वायर को इस्तेमाल किया जाना व्यवहारिक नहीं है। इसके लिए सड़क दोबारा उखाड़नी होगी। इसी बीच मंगल पांडेय नगर आवासीय समिति के सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर ने कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार से इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की।
चार महीने से कमीश्नर करा रहे थे जांच
बीते चार महीने से कमीश्नर ने इस प्रकरण में गोपनीय ढंग से जांच करा रहे थे। शुक्रवार को कमिश्नर डा. प्रभात कुमार ने ठीक दस बजे एक्सईएन एपी सिंह, एई सच्चिदानन्द मिश्रा और जेई रविन्द्र सिंह को अपने दफ्तर बुलाकर सिविल लाइन पुलिस से गिरफ्तार करवा दिया। ऐसे खुली घोटाले की परतेंसवाल उठा कि जब डेढ़ करोड़ का तार खरीदा गया तो यह इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ? अगर जरूरत नहीं थी तो फिर खरीद के पीछे मकसद क्या था? यह इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ इसी सवाल का जवाब तलाशा गया तो घोटाले की परतें खुलती चली गईं। मार्केट रेट से ज्यादा पर खरीद जांच में वायर की एमडीए द्वारा की गई खरीद और बाजार से मंगाई गई कोटेशन के रेट में भारी अंतर मिला। बाजार में यह तार सस्ता था जबकि इसके मुकाबले कहीं ज्यादा रेट पर खरीद हुई।
Read More- Indiasamvad