
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने गुरुवार (1 जून) को आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर तथा ऊर्जा और व्यापार संबंधों को मजबूत करने पर व्यापक बातचीत की। अपनी मुलाकात की शुरूआत में मोदी ने पुतिन से कहा कि वह प्रधानमंत्री के रूप में पुतिन के गृहनगर आकर खुश हैं। पहली बार रूस में भारत-रूस शिखरवार्ता मॉस्को से बाहर सेंट पीटर्सबर्ग में हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘सामान्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय संबंध ऊपर नीचे होते रहते हैं लेकिन इतिहास गवाह है कि भारत-रूस संबंधों में कोई उतार चढ़ाव नहीं आया।’’
Prime Minister Narendra Modi met Russian President Vladimir Putin in St Petersburg, Russia pic.twitter.com/6chx55LYrU
— ANI (@ANI_news) June 1, 2017
मोदी ने भारत को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सदस्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाने के लिए रूस के राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया। पुतिन ने कहा कि भारत एक सप्ताह में एससीओ का पूर्णरूपेण सदस्य बन जाएगा। मोदी ने पुतिन के साथ बातचीत में सुबह द्वितीय विश्व युद्ध के शहीदों के स्मारक के अपने दौरे का जिक्र किया। उन्होंने पुतिन से कहा, ‘‘आप ऐसे नेता हैं जिसके परिवार ने बलिदान दिया। आपके भाई ने शहादत दी थी।’’
पुतिन के भाई 70 साल पहले द्वितीय विश्व युद्ध में लेनिनग्राड हमले में मारे गये थे। उन्होंने युद्ध स्मारक जाने के लिए मोदी का आभार जताया और कहा कि रूस की जनता के दिल में ऐसी जगहों के लिए खास महत्व है। दोनों पक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रेलवे, सांस्कृतिक आदान-प्रदान समेत कई क्षेत्रों में और निजी पक्षों के बीच भी अन्य कारोबारी क्षेत्रों में 12 समझौतों पर दस्तखत कर सकते हैं। वे एक ‘विजन डॉक्यूमेंट’ भी जारी करेंगे। वे कुडनकुलम में भारत के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों के निर्माण के लिए करार भी कर सकते हैं।
बता दें कि पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री आर्थिक एवं कारोबारी शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहा है। दोनों देशों के बीच 7.8 अरब डॉलर का कारोबार है जिसमें 2014 की तुलना में कमी आई है। तब यह 10 अरब डॉलर था। दोनों देश अगले पांच साल में व्यापार को 30 अरब डॉलर पहुंचाने के लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कल पिस्कारियोवस्कोई स्मारक के दौरे के साथ अपनी तीन दिन की रूस यात्रा शुरू करेंगे। द्वितीय विश्व युद्ध में लेनिनग्राद पर हमले के दौरान मारे गये करीब पांच लाख सैनिकों की स्मृति में इसे बनाया गया।
read more – jansatta
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