भारत के रेल मंत्री सुरेश प्रभु भारतीय रेल में बदलाव के लिए नित-नई योजनाएं बनाते रहते हैं। ताजा मामला विश्व बैंक की मदद से भारतीय रेल का पूरी तरह कायाकल्प का है। विश्व बैंक पांच लाख करोड़ रुपये के निवेश से भारतीय रेल की स्थिति बदलने का खाका तैयार करने में मदद करेगा। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेलवे विभिन्न एजेंसियों के निवेश की मदद से 164 साल पुरानी भारतीय रेलवे में आमूलचूल परिवर्तन करना चाहता है। इस योजना के तहत परिवहन, डिजिटाइजेशन, तकनीकी आधुनिकीकरण के अलावा एक रेलवे विश्वविद्यालय और रेल टैरिफ अथॉरिटी बनाने की भी योजना है।
रिपोर्ट के अनुसार विश्व बैंक पहले भी भारतीय रेलवे की मदद कर चुका है। ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण में वित्तीय निवेश में विश्व बैंक ने मदद की थी। करीब दो-साल तक चलने वाले इस नवीनीकरण कार्यक्रम में विश्व बैंक सलाहकार और कार्यक्रम प्रबंधक की भूमिका में मदद करेगा।
रेल मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने ईटी को बताया कि समय से काम पूरा करने और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विश्व बैंक की सेवा ली जा रही है। खुद रेल मंत्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में रेलवे के कायाकल्प का खाका तैयार किया गया है जिसके तहत अगले चार सालों में रेल की सूरत बदलने के लिए करीब पांच लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
खबर के अनुसार इस साल इस योजना के तहत 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं।
रिपोर्ट के अनुसार रेल मंत्रालय ने एक दीर्घकालीन सुधार योजना भी बनाई है। यात्रियों और माल की ढुलाई की स्थिति बेहतर बनाने के लिए इस योजना को पूरा करने में भी विश्व बैंक मदद करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुचर्चित डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की भावनाओं के तहत रेल मंत्रालय का डिजिटाइजेशन पर विशेष जोर रहेगा।
read more- jansatta