डोकलाम घाटी में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच चीनी मीडिया बार-बार भारत को 1962 के युद्ध का सबक याद रखने और अपनी सेना के ज्यादा ताकतवर होने की धौंस जता रहा है। लेकिन भारतीय सेना द्वारा तैयार कराए गए एक अप्रकाशित दस्तावेज के अनुसार इस इलाके में भारतीय वायु सेना की स्थिति चीन से काफी मजबूत है। इस अप्रकाशित दस्तावेज “द ड्रैगन क्लॉज: असेसिंग चीन पीएलएएएफ टुडे” की प्रति एनडीटीवी के पास है। इस दस्तावेज में चीन की मौजूदा वायु सेना की ताकत का आकलन किया गया है। इस दस्तावेज में भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के उत्तर में स्थिति तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में दोनों देशों की वायु सेना की क्षमता का विश्लेषऩ किया गया है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार इस रिपोर्ट को स्क्वाड्रन लीडर समीर जोशी ने तैयार किया है। जोशी भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 लड़ाकू विमान के पायलट भी रह चुके हैं। डोकलाम घाटी में दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध के बाद पहली बार भारतीय वायु सेना ने दोनों देशों की वायु सेना का तुलनात्मक अध्ययन किया है। रिपोर्ट के अनुसार जोशी ने दस्तावेज में लिखा है कि तिब्बत और दक्षिणी शिनजियांग में चीनी वायु सेना पर भारतीय वायु सेना भौगोलिक, तकनीकी और प्रशिक्षण तीनों स्तर पर भारी है। जोशी के अनुसार इन कारणों से संख्याबल में चीनी वायु सेना के अधिक होने के बावजूद भारतीय वायु सेना युद्ध की स्थिति में बेहतर स्थिति में होगी।
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