
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के सामने मेनका गांधी ने पिछले साल मार्च में कहा था कि जिलेटिन के कैप्सूल के इस्तेमाल से देश के लाखों शाकाहारियों की भावनाएं आहत होती हैं और बहुत से लोग इसकी वजह से दवाएं नहीं खाते।
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने “जिलेटिन से बने कैप्सूल की जगह पौधों से बने कैप्सूल” बनाने के लिए विशेषज्ञों की एक कमिटी बनायी है। दो जून को मंत्रालय ने नोटिस जारी करते हुए सबंधित पक्षों से उनके विचार मांगे हैं। इस कमिटी का गठन इसी साल मार्च में किया गया। ये कमेटी केंद्रीय महिला एंव बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय को “जिलेटिन कैप्सूल” की जगह पौधों से बने कैप्सूल के इस्तेमाल के सुझाव के बाद लिया गया।
जिलेटिन कैप्सूल जीव-जंतुओं से प्राप्त उत्पादों में मिलने वाले कोलोजन से बनाए जाते हैं। वर्तमान में करीब 98 प्रतिशत दवा कंपनियां पशुओं के उत्पादों से बनने वाले जिलेटिन कैप्सूल का इस्तेमाल करती हैं। पौधों से बनने वाले कैप्सूल प्रमुखतया केवल दो कंपनियां बनाती हैं। इनमें से एक भारत स्थित एसोसिएट कैप्सूल है और दूसरी अमेरिकन कैप्सुगल। पशुओं के ऊतक, हड्डियां और त्वचा को उबालकर जिलेटिन प्राप्त किया जाता है।
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