सहारनपुर में तनाव होते-होते बचा, घायल युवक की मौत, अंत्येष्टि में पहुंचे विधायक मसूद अख्तर को लोगों ने भगाया

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जातीय हिंसा के 54 दिन बीतने के बाद भी जख्म अभी भरे नहीं हैं। दशकों से साथ दुख -सुख में साथ निभाने वाले राजपूत और दलित समुदाय में एक-दूसरे के प्रति गुस्सा और निराशा के भाव कम होने का नाम नही ले रहे है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आदित्य मिश्र को एक बार फिर से सहारनपुर आना पड़ा। उन्होंने सहारनपुर मंडल के डीएम, एसएसपी के साथ बैठक लेकर उन्हें सतर्कता बरतने के निर्देश दिए। देवबंद में कोतवाली के दलित बहुल गांव लालवाला में एक दलित बलराम पुत्र मामचंद के उपलों के बिटौडे में आग लगा दी गयी।

उधर आसनवाली गांव के घायल राजपूत युवक प्रदीप चौहान की पीजीआई चंडीगढ में मृत्यु हो गई। इससे सहारनपुर हिंसा में मरने वालों की संख्या तीन हो गई। गत 24 मई को उपद्रवियों ने प्रदीप चौहान को गोली मार दी थी। पीजीआई चंडीगढ में उसका इलाज चल रहा था। प्रदीप के परिजनों ने सहारनपुर घंटाघर चौक पर शव को एम्बुलेंस से उतारकर सड़क जाम करने का प्रयास किया।

बड़ी मुश्किल से अधिकारियों ने उन्हें समझाया-बुझाया। आसनवली में प्रदीप चौहान की अंत्येष्टि में सांत्वना जताने पहुंचे प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष इमरान मसूद के करीबी कांग्रेस विधायक मसूद अख्तर को लोगों ने वहां से भगा दिया। लोगों का कहना था कि इमरान मसूद और मसूद अख्तर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर का समर्थन कर रहे हैं और पहले दिन ही उससे जेल में मिलकर आए थे। चंद्रशेखर की गिरफ्तारी के विरोध में दलित बहुल गांव की महिलाओं का सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने का सिलसिला जारी है। उनकी मांग है कि चंद्रशेखर को रिहा किया जाए और हिंसा के मुख्य आरोपी भारतीय जनता पार्टी के सांसद राघव लखनपाल शर्मा को गिरफ्तार किया जाए।

read more- royalbulletin

Be the first to comment

Leave a Reply