उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच संघर्ष से सूबे की भाजपा सरकार की छवि खराब होने से चिंतित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) दोनों समुदायों के प्रमुख लोगों से मुलाकात बैठकें करवा रहा है। सूत्रों के अनुसार आरएसएस और भाजपा द्वारा की जा रही इन बैठकों में दोनों समुदायों के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए सहारनपुर में हो रही हिंसा कानून-व्यवस्था की बहाली की बड़ी चुनौती बन गई है। शनिवार (27 मई) को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सहारनपुर का दौरा किया था। उन्हें जिला प्रशासन ने हिंसा प्रभावित गांव में जाने से रोक दिया। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सहारनपुर का दौरा करके भाजपा पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया था।
पिछले तीन दिनों में आरएसएस और भाजपा ने सहारनपुर की सात विधान सभाओं बेहट, नाकुर, सहरानपुर नगर, सहारनपुर देहात, देवबंद, गंगोह और रामपुर मनीहरन के कई गांवों में 30 से ज्यादा सभाएं की हैं। हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित शब्बीरपुर गांव देवबंद विधान सभा में स्थित है। जिला प्रशासन ने किसी भी राजनीतिक दल को यहां “शांति सभा” करने की इजाजत देने से मना कर दिया।
सहारनपुर के भाजपा विधायक कुंवर बृजेश सिंह ने कहा कि इन बैठकों के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “आरएसएस समेत सभी शांति चाहते हैं। ठाकुरों और दलितों दोनों ने मुुझे वोट दिया है। हम वोट बैंक की राजनीति नहीं कर रहे हैं। हम दूसरी पार्टियों की तरह किसी जाति विशेष का पक्ष नहीं लेते। ये वही लोग हैं जो चुनाव हार गए हैं इसलिए माहौल खराब कर रहे हैं।” सिंह भाजपा की उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय इकाई के सचिव भी हैं।
भाजपा के एक अन्य नेता ने बताया, “आरएसएस के स्थानीय पदाधिकारी इन बैठकों में मौजूद रहते हैं। चूंकि वो राजनीतिक लोग नहीं है इसलिए उनकी मौजूदगी से संदेश जाता है कि इस बैठकों का कोई राजनीतिक मकसद नहीं है।” आरएसएस प्रांत प्रचारक कर्मवीर सिंह और विभाग प्रचारक प्रीतम सिंह इन बैठकों में शामिल थे। एक भाजपा नेता ने बताया, “शब्बीरपुर गांव में नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है इसलिए हम आसपास के गांवों में ये बैठकें कर रहे हैं।
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