सीबीआई ने न्यूयॉर्क टाइम्स को कहा, ‘हमें न समझाएं प्रेस की आज़ादी’

नई दिल्ली| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने न्यूयॉर्क टाइम्स को पत्र लिखकर कहा है कि टाइम्स हमें प्रेस की आजादी क्या होती है, ये न समझाएं। दरअसल, एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय के ठिकानों पर हुई सीबीआई की छापेमारी के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा था कि भारत का स्वतंत्र मीडिया अब पस्त हो चुका है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने संपादकीय में यह भी लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में भारत की मीडिया में एक नए तरह का खौफ है.

क्या लिखा था संपादकीय में?

न्यूयॉर्क टाइम्स का संपादकीय लेख 7 जून को पब्लिश हुआ था. लेख में कहा गया था कि सरकारी बैंकों पर भी करीब 186 बिलियन डॉलर का कर्ज है लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार बड़े डिफॉल्टर्स के खिलाफ एक्शन नहीं लेती। लेकिन अचानक एक मीडिया कंपनी के फाउंडर्स के यहां छापे मारे जाते हैं. वो भी तब जब लोन एक साल पहले ही सैटल कर दिया गया था.

टाइम्स ने लेख में ये भी दावा किया कि ये सब एक प्राइवेट बैंक को खुश करने के लिए किया गया. लेख में मोदी सरकार पर प्रेस की आजादी को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए गए. टाइम्स इतने पर ही नहीं रुका, लेख में पठानकोट एयरबेस पर हमले के बाद एक दिन के लिए चैनल पर बैन का भी जिक्र है.

सीबीआई का जवाब

न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख का जवाब सीबीआई स्पोक्सपर्सन आरके. गौर ने लिखित में भेजा. उन्होंने लिखा ‘एडिटोरियल से ऐसा लगता है जैसे बड़े लोन डिफॉल्टर्स पर तो कोई कार्रवाई नहीं होती और एनडीटीवी के खिलाफ एक्शन ‘बदले की कार्रवाई’ के तहत हुआ. अखबार ने इस मामले में जांच का इतिहास नहीं देखा. हमने पूरी तरह कानून के दायरे में ही कार्रवाई की. भारत में इंडिपेंडेंट ज्युडिशियरी और डेमोक्रेटिक फ्रीडम है, जरूरतमंद इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने टाइम्स को नसीहत देते हुए ये भी लिखा कि भारत को प्रेस की आजादी के मामले में यूएस डेली से कोई सबक लेने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने बैंक के कर्ज़दारों वाली बात पर लिखा कि जांच एजेंसी फिलहाल, 5 बिलियन डॉलर के डिफॉल्ट केसों की जांच कर रही है और इनमें 100 क्रिमिनल केस दर्ज किए गए हैं. कई बड़े लोन डिफाल्टर जेल में हैं, उनकी प्रॉपर्टी अटैच की जा चुकी है और केस चल रहे हैं.

एनडीटीवी पर छापा

5 जून, 2017 को एनडीटीवी के सह-संस्थापक प्रणय रॉय के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की थी. मामला आईसीआईसीआई बैंक को कथित तौर पर 48 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का है. इसके बाद न्यूज चैनल एनडीटीवी ने बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि सीबीआई की ओर से बिना प्रारंभिक जांच के एनडीटीवी के दफ्तरों और प्रोमोटरों के घर पर छापेमारी की घटना हैरान करने वाली है.

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