सुनो न माँ,

कवयित्री-डॉ नेहा “प्रेम”

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सुनो न माँ
दुनियाँ के सारे संस्कार हमे ही
क्यो देती हो माँ
थोड़े भाई को भी दे दो न माँ
सही गलत का पाठ हमे ही
क्यो पढाती हो माँ
थोड़ा भाई को भी पढ़ा दो न माँ
सुनो न माँ
सारी इज़्ज़त का ख्याल रखने के लिए हमे ही क्यो कहती हो माँ
थोड़ा भाई को भी कह दो न माँ
पिता की पगड़ी की लाज रखने के लिए हमे हीं क्यो सिखाती हो माँ
थोड़ा भाई को भी सिखा दो न माँ
सुनो न माँ
तुम्हारी थोड़ी सी डाट और
तुम्हारे थोड़े से संस्कार
निर्भया और डॉक्टर दिशा बहन की जान तो बचा लेती
सुनो न माँ
तुम्हारी थोड़ी सी डाट और
तुम्हारी थोड़े से संस्कार
मेरे भाई को इतना बड़ा पाप
करने से रोक लेती
अभी भी वक्त है माँ सम्भल जाओ न माँ
दे दो न माँ,थोड़ा मेरा जैसा संस्कार
और थोड़ी सी मेरी डाट
ताकि फिर कभी कोई निर्भया और डाक्टर दिशा न बन पाएँ
दे दों न माँ ,मेरे जैसा संस्कार

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