
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि किसानों की आय में सुधार और सामाजिक सुरक्षा को लेकर उठाए गए तमाम कदमों के बावजूद 2013 के बाद से हर साल 12,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, हाल ही में सिटिजन रिसोर्सेस एंड एक्शन इनिशिएटिव नाम के एनजीओ ने याचिका दायर की थी. इसके जवाब में केंद्र सरकार ने याचिका पर सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ को किसानों की स्थिती सुधारने की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में बताया.
सरकार के मुताबिक 2015 में खेती से जुड़े 12602 (8007 किसानों और 4595 खेतिहर मजदूरों) ने आत्महत्या की है. जोकि देश भर में आत्महत्या के 133623 मामलों का करीब 9.3 फीसदी है.
किसानों की खुदकुशी के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आए हैं. महाराष्ट्र में आत्महत्या के 4291 मामले सामने आए है, तो वहीं इसके बाद सबसे अधिक कर्नाटक में 1569, फिर तेलंगाना में 1400, मध्य प्रदेश में 1290, छत्तीसगढ़ में 954, आंध्र प्रदेश में 916 और तमिलनाडु में खुदकुशी के 606 मामले सामने आए हैं.
सरकार ने किसानों द्वारा आत्यमहत्या किए जाने के मामले को लेकर नीति आयोग से रणनीति बनाने को कहा. इस पर पीठ ने कहा कि आप (केंद्र) हर एक चीज नीति आयोग को देते जा रहे हैं, वो कितना संभाल सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने सरकार से एनजीओ द्वारा जमा कराए गए डेटा पर चार हफ्तों में जवाब देने के लिए कहा है. एनजीओ के वकील का कहना है कि पीएम फसल बीमा योजना देश के ज्यादातर किसानों तक नहीं पहुंची है.
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