‘अंसारी के चेयरमैन रहते राज्यसभा टीवी में हुआ घोटाला, चहेते पत्रकारों को किया मालामाल’

राज्यसभा टीवी की लाचिंग हुई थी सदन की कार्यवाही के प्रसारण के लिए, मगर ऐसी फिल्में और प्रोग्राम बने कि जिनका सदन की गतिविधियों से लेना-देना नहीं थे। बदले में चहेते पत्रकारों को मालामाल किया गया।

नई दिल्लीः ऑफिस ऑफ प्राफिट केस में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को तगड़ा झटका देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के चर्चित वकील प्रशांत पटेल ने जाते-जाते हामिद अंसारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पटेल का दावा है कि बतौर उपराष्ट्रपति   अंसारी की चेयरमैनशिप में चलने वाले राज्यसभा टीवी में बड़ा घोटाला हुआ है। जिस टीवी की लांचिंग राज्यसभा की कार्यवाही के प्रसारण के लिए हुई थी, उसे  अंसारी ने निजी जागीर की तरह इस्तेमाल किया। जनता के टैक्स के पैसे से चहेते पत्रकारों को मालामाल किया गया।   पटेल का कहना है कि जांच होने पर वित्तीय गड़बड़ियां बजबजाकर बाहर आएंगी।

उन्होंने जांच की मांग उठाई है। प्रशांत पटेल वही वकील हैं, जो दोहरे लाभ में फंसे अरविंद केजरीवाल के विधायकों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट से लेकर निर्वाचन आयोग तक केस लड़ रहे हैं। उनकी अर्जी पर अयोग्यता की कगार पर विधायक खड़े हैं।

इंडिया संवाद से बाततीत में प्रशांत पटेल कहते हैं कि घोटाला बाहर आने पर फंसने की डर से ही हामिद अंसारी टीवी को दिए इंटरव्यू में मु्स्लिम असुरक्षा का कार्ड खेल गए।

सरकारी पैसे से पत्रकारों को किया मालामाल

प्रशांत पटेल ने कई ट्वीट कर राज्यसभा टीवी में घपले की बात कही है। उन्होंने कहा है कि राज्यसभा टीवी में कई कांग्रेसी और वामपंथी विचारधाराओं के पत्रकारों की या तो नियुक्तियां हुईं या फिर उन्हें गेस्ट के तौर पर बुलाया गया। किसी से प्रोग्राम बनवाए गए। इसके एवज में उन्हें मोटा भुगतान किया गया। एंकर और गेस्ट एंकर के नाम पर कांग्रेस के तनखैया पत्रकारों पर लाखों-करोड़ों रुपये लुटाए जा चुके हैं। यहीं नहीं 14 करोड़ रुपये से रागद्वेष नामक फिल्म भी राज्यसभा टीवी की ओर से बनाई गई। खास बात है कि इस फिल्म के प्रमोशन के नाम पर आठ करोड़ लुटाए गए।

इतना पैसा तो आमतौर पर बॉलीवुड वाले भी अपनी कामर्शियल फिल्मों के नहीं खर्च करते।

राष्ट्रपति से कई गुना ज्यादा बजट खर्च किया उपराष्ट्रपति ने

खास बात है कि दस साल के कार्यकाल में करीब छह बार ऐसा मौका आया, जब राष्ट्रपति कार्यालय का बजट महज 66 करोड़ का रहा, वहीं उपराष्ट्रपति कार्यालय का बजट 377.21 रुपये आवंटित रहा। चूंकि राज्यसभा का सेक्रेटरियत चलता है। 1500 के करीब स्टाफ है। इस नाते बजट ज्यादा आवंटित होता है। मगर इस पैसे का बड़ा हिस्सा राज्यसभा टीवी में चहेतों को उपकृत करने में लुटाया गया।

 

 

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