अजयराज की योगी को सलाह..अपराध पर काबू पाने के लिए लोहे की मुट्ठी चाहिए

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस के सबसे कामयाब पुलिस कमिश्नर कहे जाने वाले आईपीएस अफसर अजयराज शर्मा का कहना है कि यूपी  में अपराध के बढ़ते ग्राफ को रोकने के लिए बेहद तेज़ी से कुछ बड़े निर्णेय लेने होंगे. यूपी पुलिस में स्पेशल टास्क फ़ोर्स गठित करने वाले अजयराज शर्मा का ये भी कहना है  कि अपराध अगर एक बार सरकार की गिरफ्त से बाहर निकलने लगे तो उस पर दुबारा काबू पाने के लिए फिर लोहे जैसी मुट्ठी चाहिए.

रिबेरो और गिल की कतार में खड़े रहे अजयराज 

आइये पहले ये जाने कि यूपी पुलिस को नसीहत देने वाले अजयराज शर्मा का पुलिसिया दमखम आखिर कितना है. उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस अफसर अजयराज शर्मा का इक़बाल ये था को कि जब 1999  में दिल्ली में ताबड़तोड़ आपराधिक वारदातें हुई  तो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ से उन्हें दिल्ली बुलाकर राजधानी  का पुलिस कमिश्नर बना दिया. अजयराज को वाजपेयी ने दो हिदायतें दीं थी …एक, कि वे दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार को रोके और दूसरा, बढ़ते हुए सनसनीखेज किस्म के अपराध को तुरंत रोकें. दोनों ही हिदायतों पर अजयराज ने बखूबी अमल करके दिखाया इसलिए आज भी उन्हें दिल्लीवाले याद करते हैं. कुछ साल बाद, वाजपेयी,  अजयराज शर्मा को  सीबीआई का डायरेक्टर बनाना चाहते थे लेकिन कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश रखने के लिए लाल कृष्ण अडवाणी ने उन्हें बीएसएफ का डीजी बना दिया. अजयराज की पुलिसिंग की तुलना अक्सर रिबेरो और गिल जैसे वर्दी वाले महानायकों से की जाती है. गिल के साथ पंजाब में सीआरपीएफ के डीआईजी के तौर पर अजयराज ने कई बड़े ऑपेरशन किये थे.

यूपी पुलिस पहले ग़ाज़ियाबाद और नॉएडा में अपना चेहरा ठीक करे 

यूपी में तीन दशक तक अहम जिम्मेदारी सँभालने वाले  अजयराज शर्मा  वर्तमान में उत्तर प्रदेश की बिगड़ी हुई  क़ानून व्यवस्था से चिनीति दिखे.  अपने लम्बे अनुभव के बल पर वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई उपयोगी परामर्श  देते हैं.  इंडिया संवाद से नॉएडा के अपने घर में खास बातचीत  में अजयराज कहते हैं कि सबसे पहले योगी को  सर्वश्रेस्ठ पुलिस अधिकारी छांट कर उन्हें महत्वपूर्ण दायित्व सौंपने चाहिए. ” मिसाल के तौर पर गाजियाबाद , नॉएडा, लखनऊ और कानपुर में ऐसे अफसर तैनात किये जाएँ जो पूरे काडर के सबसे बेहतर प्रोडक्ट हों.  इन शहरों  के अपराध सबसे ज्यादा मीडिया में हाईलाइट होतें हैं जिससे यूपी के बारे में एक नेगेटिव परसेप्शन बनने लगता है. अगर नॉएडा या गाजियाबाद का एसएसपी  ईमानदार और दबंग छवि वाला नहीं होगा तो दिल्ली की आँखों में यूपी पुलिस की छवि  कभी ठीक नहीं हो पायेगी. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि पिछली सरकारों  में गाजियाबाद और नॉएडा में उन पुलिस अफसरों को ही तैनात किया  गया जो भ्रष्ट थे और खुली लूट में शामिल थे,” अजयराज शर्मा ने कहा.

योगी ईमानदार तो हैं लेकिन उनके पास बेहतर लोग नहीं 

उत्तर प्रदेश के तीन बार क़ानून व्यवस्था प्रमुख रहे अजयराज शर्मा का कहना था कि मुख्यमंत्री योगी ईमानदार हैं.  वे यूपी की छवि बदलना चाहते हैं लेकिन उनके पास एक्सपर्ट्स की टीम नहीं है.” योगीजी सबसे पहले एक अनुभवी और सफल पुलिस अधिकारी को अपना सलाहकार बनाएं. इस सलाहकार को यूपी के ज़िलों, रेंज और जोन का कम से कम 30 -40 साल का  जबरदस्त तजुर्बा  हो. ऐसा सलाहकार ही  योगी और उनके डीजीपी को दुरुस्त सलाह दे सकता है. अन्यथा होम सेक्रेटरी या प्रिंसिपल सेक्रेटरी से ही योगीजी  हर मामले में सेकंड ओपिनियन लेते रहेंगे जिसका लाभ कम,  हानि ज्यादा है,” अजयराज ने अपनी बात समझाने की कोशिश की.

 

 

सख्त और जल्द फैसले लेने में कल्याण सिंह का जवाब नहीं

1966  बैच के आईपीएस अजयराज शर्मा का कहना कि एक बार जब यूपी के दुर्दांत माफिया सरगना श्री प्रकाश शुक्ल ने दर्ज़नो क़त्ल करने के बाद मुख्यमंत्री  कल्याण सिंह तक को मारने की सुपारी ले ली तो उन्हें सीएम आवास से फोन आया. तब वे पीएसी के एडीजी थे. शाम को अजिराज 5  कालिदास मार्ग , कल्याण सिंह के सरकारी आवास पहुंचे. परशान से दिख रहे कल्याण सिंह ने एक महत्वपूर्ण मीटिंग से उठकर अजयराज को अपने  बैडरूम में बुलाया. ” तब बैडरूम में उन्होंने मुझसे कहा कि अजयजी क्या हालात हो गए हैं. आज एक माफिया सरगना सीएम की सुपारी ले रहा है. तब मैंने उनसे कहा कि सर , इस बात से मुझे बहुत तकलीफ पहुंची है. मै आपको गारंटी देता हूँ कि कुछ ही  महीनो में, इस माफिया को जिन्दा या मुर्दा आपके कदमो में डाल दूंगा. लेकिन मुझे , मेरी पसंद के 50  पुलिस वाले चाहिए और दस नई गाड़ियां.  तब कल्याण सिंह ने उसी रात ये फैसला ले लिया और आगे चल कर उन्ही 50  पुलिस वालों ने मिलकर एसटीएफ का गठन किया. एसटीएफ के गठन के बाद हमने  श्री प्रकाश शुक्ल को एक एनकाउंटर में मार गिराया ,” ये कहानी बताकर अजयराज ने पुरानी यादें फिर ताज़ा कर दीं.

यूपी पुलिस को भ्रष्ट  अफसरों से ही नहीं जातिगत पोस्टिंग से भी बचना होगा 

अजयराज कहतें कि यूपी पुलिस एक वक़्त, देश की सबसे धाकड़ पुलिस थी. 1952  में प्रधानमंत्री  नेहरू ने लखनऊ  आकर यूपी पुलिस को अपना झंडा भेंट किया था. इसी तरह हैदराबाद को मुक्त करने के लिए सरदार पटेल ने पीएसी की मदद मांगी थी. यूपी के  ही एक अफसर ने सीबीआई का गठन किया था . इस तरह के सम्मान देश की किसी पुलिस फाॅर्स को कभी नहीं मिले  है. ” मुझे याद है  1968  में, जब मै एएसपी था  तो लखनऊ में  पुलिस वीक के दौरान एक डीआईजी  ने मुझे बुलाकर कहा …देखो…दूर बैठे उस अफसर को देखो..इस अफसर के कभी नज़दीक नहीं जाना . मैंने पूछा की क्यों उनके नज़दीक ना जाऊं,  तो डीआईजी ने कहा कि उनकी शोहरत  अच्छी नहीं. यानी वे करप्ट टाइप के थे.  सच ये है कि सैकड़ों अफसरों के बीच में तब सिर्फ एक करप्ट था. पर आज हालत ये हैं कि सैकड़ों करप्ट के बीच में एक ईमानदार अफसर होता  है.,” अजयराज भावुक हुए. उनका कहना है कि योगी को ईमानदार अफसरों को हर कीमत पर आगे रखना होगा. ईमान है तो इक़बाल है.और पुलिस का जब तक इक़बाल रहेगा तो अपराधी और आरोपी वर्दी से डरते रहेंगे.

पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार के अलावा जातिवाद पर भी अजयराज ने कटाक्ष किया. वे बताते हैं कि यूपी पुलिस में पहली बार जातिवाद को चौधरी चरण सिंह लेकर आये. उन्होंने जाट इंस्पेक्टरों को जी भर कर थानों का चार्ज दिया. काडर पोस्टिंग में  भी जातिवाद को प्रमोट किया. हालाँकि बतौर मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह  ईमानदार थे और उन्होंने पैसे लेकर किसी की पोस्टिंग नहीं की.” चरण सिंह के बाद ये सिलसिला बढ़ा और मुलायम ने आते ही जाति के आधार  पर पोस्टिंग को अपना  पैमाना बना दिया. मायावती उनसे भी बढ़कर निकली. चरण सिंह और इनदोनो में फर्क ये था कि सपा -बसपा में जाति और पैसा दोनों का बोलबाला रहा और पुलिस की छवि जनता की नज़र में गिरती चली  गयी. कल्याण सिंह का ही एक ऐसा वक़्त था जब जाति को तरजीह नहीं दी गयी. मै उम्मीद करता हूँ कि योगी जी भी इस ओर ध्यान देंगे.,” अजयराज इतना कहकर कुर्सी से उठ गए. लेकिन जाते जाते वे जता गए कि यूपी पुलिस को अपनी छवि बदलने के लिए पैसे और जाति कि जगह अब  मेरिट को तरजीह देनी होगी.

दरअसल  अपराध से पैसा नहीं लड़ सकता है. अपराध से जाति भी नहीं भिड़ सकती है.  अपराध का गला सिर्फ मज़बूत हाथों से  ही घोंटा जा सकता है.

 

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