अब शिक्षकों से रोजगार छीनने की तैयारी में मोदी सरकार, 8,50,000 शिक्षकों की नौकरी खतरे में !

लखनऊ, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों से अब तक व्यापारी वर्ग और मजदूर वर्ग परेशानी झेल रहा था। अब मोदी सरकार के निशाने पर शिक्षक वर्ग भी आ गया है। मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसले से करीब आठ लाख शिक्षकों के प्रभावित होने का अनुमान है। मोदी सरकार ने लोकसभा में एक बिल पेश किया है जिसके तहत देश भर के करीब आठ लाख शिक्षकों को बीएड करना अनिवार्य है।

जानकारी के अनुसार लोकसभा में एक विधेयक पर चर्चा हुई जिसमें देश के सरकारी और निजी स्कूलों के करीब आठ लाख शिक्षकों को बीएड की योग्यता हासिल करने का आखिरी मौका दिया गया है। मोदी सरकार ने ये भी कहा कि 31 मार्च 2019 तक बीएड की डिग्री हासिल नहीं करने पर बिना बीएड डिग्री के स्कूलों में पढ़ा रहे ऐसे शिक्षकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में विधेयक को पेश करते हुए कहा कि इस समय निजी स्कूलों में करीब साढे पांच लाख और सरकारी स्कूलों में ढाई लाख शिक्षक जरूरी न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं और उन्हें यह योग्यता यानी बीएड करने का आखिरी मौका देने के लिए यह एक मौका है।

उन्होंने कहा कि गैर प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा छात्रों को पढ़ाया जाना बहुत नुकसानदायक है और ऐसे में 2019 तक सभी कार्यरत शिक्षकों को अनिवार्य न्यूनतम योग्यता हासिल करना होगा, वरना उनकी नौकरी चली जाएगी।

जावड़ेकर ने साथ ही बताया कि ऐसे शिक्षकों की सहायता के लिए सरकार ने ‘स्वयं’ पोर्टल भी कुछ दिन पहले लांच किया है जिसमें पाठ्य सामग्री, ट्यूटोरियल एवं अन्य संबंधित सामग्री उपलब्ध है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने 10 अप्रैल, 2017 को लोकसभा में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) बिल, 2017 पेश किया था। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता हासिल करने की समय सीमा को बढ़ाने के लिए निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार एक्ट 2009 में और संशोधन का प्रस्ताव करने के लिए इसे लाया गया था।

 एक्ट के तहत यदि किसी राज्य में शिक्षकों के प्रशिक्षण संस्थान या योग्य शिक्षक पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं तो वह शिक्षकों को पांच साल के भीतर यानी 31 मार्च 2015 तक न्यूनतम योग्यता हासिल करने की छूट प्रदान करता है। बिल इस प्रावधान में यह बात जोड़ता है कि जिन शिक्षकों ने 31 मार्च 2015 तक न्यूनतम योग्यता हासिल नहीं की हो वे चार वर्ष के भीतर 31 मार्च 2019 तक न्यूनतम योग्यता हासिल कर सकते हैं।

केंद्र की मोदी सरकार से एक आम नागरिक होने के नाते सवाल करता हूँ कि वो बताएं जिन स्नातक छात्र छात्रों के पास बीएड करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं है वो कैसे बीएड करेंगे। ऐसे में मोदी जी आपकी सरकार इन युवाओं को बेरोजगार करने का काम कर रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में आपने सालाना 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था मगर आप की सरकार किसी तरह अपने परिवारों का भरण पोषण कर रहे है युवाओं को बेरोजगार करने पर तुली हुई है।

किसी निजी स्कूल में पढ़ाने वाला गरीब युवक स्नातक तक की पढ़ाई करने के बाद अपने खर्चे के लिए निजी स्कूलों में न्यूनतम वेतन पर पढ़ाता है ताकि उसके आगे की पढ़ाई का खर्च उसके मां बाप पर न आए और वो अपना खर्च स्वयं वहां कर सके। जिसके लिए वो न्यूनतम वेतन पर भी शिक्षक बन जाता है और अपना ज्ञान दूसरों को बांटता है। मोदी जी आपकी सरकार द्वारा लिए गए फैसले से युवा निजी स्कूलों में भी अध्यापन का कार्य नहीं कर पायेगा और बेरोजगार हो जाएगा।

क्या आपकी सरकार का ये फैसला बीएड कॉलेजों के दबाव में लिया गया है ? जिसके चलते आपने देशभर के करीब आठ लाख शिक्षकों को बेरोजगारी की तरफ ढकेलने का काम किया है। ऐसे में जो युवा बेरोजगार होगा वो क्या करेगा। उसके परिवारों को अतिरिक्त खर्चे के बोझ तले दबना पडेगा। जिन परिवारों की माली हालत ऐसी नहीं है कि वो बीएड कॉलेजों की भारी भरकम फीस भर सके उनके बच्चों को आपकी सरकार बेरोजगार बना कर छोड़ेगी।

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