अमेरिकी यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी का संबोधन, वंशवाद से लेकर नोटबंदी तक पर बोले, बताया ध्रुवीकरण से देश को खतरा

कैलिफॉर्निया – अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार सुबह (भारतीय समयानुसार) बर्कली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को संबोधित किया। यहां उन्होंने भारत की ताकत के बारे में बताया। देश के विकास को लेकर अपना विजन रखा, लेकिन वर्तमान सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि देश में सांप्रदायिक और ध्रुवीकरण करने वाली ताकतें सिर उठा रही हैं। राहुल ने कहा कि नोटबंदी और जल्दबाजी में जीएसटी लागू करने से देश की अर्थव्यवस्था का पटरी से उतरने का खतरा पैदा हो गया है। पार्टियों में वंशवाद से जुड़े एक सवाल पर राहुल ने कहा कि पूरा देश ही ऐसा चल रहा है। उन्होंने इसके लिए एसपी प्रमुख अखिलेश यादव, डीएमके नेता स्टालिन से लेकर ऐक्टर अभिषेक बच्चन तक के नाम गिनाए।

वंशवाद पर राहुल ने रखी यह राय
उन्होंने कहा, ‘वास्तव में भारत में अधिकांश पार्टियों के अंदर यह समस्या है। इसलिए हम पर ही मत जाइए। अखिलेश यादव डायनेस्ट (सत्ताधारी परिवारों के वंशज) , स्टालिन भी डायनेस्ट हैं। धूमल के बेटे डायनेस्ट हैं। यहां तक कि अभिषेक बच्चन भी डायनेस्ट हैं… भारत इस तरह से चल रहा है। इसलिए मेरा मतलब है… मुझ पर मत जाए… पूरा देश ऐसे चल रहा है। अंबानी अपना बिजनस चला रहे हैं और इन्फोसिस में भी यही चल रहा है… तो भारत में यह चल रहा है। मैं कांग्रेस पार्टी में बदलाव चाहता हूं। अगर आप कांग्रेस पार्टी में देखें तो ऐसे बड़ी संख्या में लोग हैं, जो वंशवाद की देन नहीं हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके पिता, दादा, दादी या परदादा राजनीति में रहे हैं। वे भी हैं। मैं इस बारे में कुछ कर नहीं सकता हूं।’ राहुल ने कहा कि असली सवाल यह है कि जो शख्स है, क्या वह सक्षम है? क्या वह संवेदनशील है?

नोटबंदी से लेकर ध्रुवीकरण पर बोले

 राहुल ने कहा कि देश ने बीते 70 साल में जितनी तरक्की हासिल की है, उसकी विकास की रफ्तार को भारत में सिर उठा रहे ध्रुवीकरण, नफरत की राजनीति मंद कर सकते हैं। राहुल ने कहा कि लिबरल जर्नलिस्ट्स की हत्या की जा रही है, दलितों को पीटा जा रहा है, मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। राहुल ने कहा, ‘अहिंसा का आइडिया आज खतरे में है। यही विचार है, जो मानवता को आगे ले जा सकता है। नफरत, गुस्सा और हिंसा हमें बर्बाद कर सकता है। ध्रुवीकरण की राजनीति बेहद खतरनाक है।’
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