आगामी सत्र में बढ़ सकती है कपास की खेती

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और कर्नाटक में सिंचित क्षेत्रों में कपास की बुआई शुरू हो गई है। जबकि गैर सिंचित क्षेत्रों में खेतों में नमी लगभग ना के बराबर होने के चलते किसान अभी मॉनसून बारिश की प्रतीक्षा में हैं। गैर सिंचित क्षेत्रों में मॉनसून के आगमन के बाद कपास की बुआई शुरू होने की संभावना है।

प्राप्त खबरों के अनुसार कर्नाटक के दक्षिणी हिस्सों में कपास की बुआई लगभग पूरी होने को है। मैसूर, दक्षिणी कर्नाटक का प्रमुख कपास उत्पादक ज़िला है। गौरतलब है कि यहाँ बीटी कॉटन किस्में ही प्रमुखता से ही बोई जा रही हैं। वर्ष 2017 में मॉनसून के सामान्य प्रदर्शन की संभावना को देखते हुए कपास की खेती में व्यापक बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाया जा रहा है। पंजाब में सरकार ने 4 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है। उत्तर भारत में प्रमुख कपास उत्पादक राज्य पंजाब में 2.56 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई थी।

गुजरात में 2016-17 में पिंक बॉल कीट के संक्रमण में कमी आई थी जिससे किसान इस बार उत्साहित हैं और देश के सबसे बड़े कपास उत्पादक राज्य गुजरात में भी कपास की खेती में वृद्धि होने का अनुमान है। गत वर्ष गुजरात में कुल 24 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई की गई थी। 

इसके अलावा इस बार दाल की खेती के बड़े रकबे में भी किसान कपास की बुआई कर सकते हैं। स्काइमेट में कृषि और बाज़ार विशेषज्ञ रेखा मिश्रा के अनुसार इस समय दाल के मुक़ाबले कपास की अच्छी कीमतों और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कपास की निरंतर माँग के कारण भी किसानों का रुझान कपास की तरफ बढ़ने की संभावना है।

इन तथ्यों के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष के मुक़ाबले इस बार कपास की खेती में 10 से 15% वृद्धि का अनुमान लगाया है। खेती बढ़ने के अलावा सामान्य बारिश के मद्देनज़र इसकी उत्पादकता भी अच्छी रहने की संभावना है।

स्काइमेट के अनुसार मॉनसून 2017 सामान्य के आसपास प्रदर्शन रह सकता है। मॉनसून की बारिश खरीफ फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्काइमेट ने केरल में मई के अंत तक मॉनसून के आगमन की संभावना व्यक्त की है। गौरतलब है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य समय से लगभग एक सप्ताह पहले ही अंडमान निकोबार द्वीपसमूह पहुँच गया था। यह अलग बात है कि भारत में मॉनसून सीज़न केरल में मॉनसून के आगाज़ से शुरू होता है। समान्यतः 1 जून को मॉनसून केरल पहुँचता है। इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 29 मई तक केरल में दे सकता है दस्तक।

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