आतंकवाद के ब्रेक से बार-बार टूट जाती है कश्मीरी इकोनॉमी की लाइफलाइन

जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की लाइफलाइन सेक्टर हैं पर्यटन, सर्विस, कृषि, हॉर्टीकल्चर, माइनिंग, हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम. जहां बीते पांच सालों में राज्य की अर्थव्यवस्था 15 फीसदी की औसत दर से बढ़ी हैं वहीं प्रति वर्ष उसे हजारों करोड़ रुपये का कारोबारी नुकसान सिर्फ इसलिए उठाना पड़ता है क्योंकि राज्य में विकास की रफ्तार पर आंतकवाद की लगाम लगी है.

कम हो जाएंगे अमरनाथ यात्रा करने वाले श्रद्धालू

अमरनाथ यात्रा राज्य में टूरिज्म के पीक सीजन का सबसे अहम इवेंट है. इस सीजन में लगभग 3-4 लाख श्रद्धालू दर्शन करने के लिए राज्य पहुंचते हैं. इस साल 29 जून से शुरू इस यात्रा में 10 जुलाई तक 1.5 लाख श्रद्धालू दर्शन कर चुके हैं और 2-2.5 लाख श्रद्धालुओं को और पहुंचना है. लेकिन 10 जुलाई को अमरनाथ यात्रियों से भरी बस पर हुए आतंकी हमले के बाद इस आंकड़े में बड़ी गिरावट दर्ज होने का अनुमान है. इसके चलते महज इस यात्रा से राज्य को मिलने वाले राजस्व में बड़ी गिरावट दर्ज होने के आसार हैं.

इस यात्रा के अलावा, राज्य के कारोबार के लिए अहम अन्य क्षेत्रों के लिए भी यह वक्त बेहद अहम रहता है. टूरिज्म के बाद राज्य में छोटे और मध्यम कारोबार का बड़ा योगदान राज्य की अर्थव्यवस्था में रहता है. जून से शुरू पीक टूरिज्म सीजन राज्य में जुलाई-अगस्त-सितंबर और नवंबर तक चलता है.

जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में छोटे-बड़े कारोबार का योगदान

• 2013-14 के दौरान जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था 45,399 करोड़ रुपए थी. इस साल अर्थव्यवस्था में विकास के लक्ष्य भी बड़े थे.

• सूबे की जीएसडीपी में कृषि एवं संबंधित क्षेत्र का योगदान 20 फीसदी, इंडस्ट्री और माइनिंग का योगदान 23.5 फीसदी और सर्विस सेक्टर का योगदान 56.5 फीसदी है

 

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