आधार कार्ड: सरकार की अधिसूचना को SC ने अनिवार्य बनाने से किया इंकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने वाली सरकारी अधिसूचना पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार किया। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की महज इस आशंका के आधार पर कि आधार नहीं होने पर सरकार लोगों को विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित कर सकती है, वे इस चरण पर आकर कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकते हैं।

पीठ ने शीर्ष अदालत द्वारा नौ जुलाई को दिए गए उस आदेश का हवाला दिया जिसमें आयकर अधिनियम के उस प्रावधान की वैधता को बरकरार रखा गया था जो पैन कार्ड तथा कर रिटर्न फाइल करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाता है। हालांकि शीर्ष अदालत ने इसके क्रियान्वयन पर तब तक के लिए आंशिक रोक लगा दी थी जब तक संवैधानिक पीठ निजता के अधिकार के मुद्दे को नहीं देख लेती।
पीठ ने कहा, मामले में नौ जून को आए फैसले में पैराग्राफ 90 में की गई टिप्पणी को देखते हुए आगे और अवलोकन की आवश्यकता नहीं है। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं का लाभ उठा रहे वे लोग जिनके पास आधार नहीं है उनके लिए केंद्र ने अंतिम समय सीमा 30 जून से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कोर्ट से केंद्र को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं के लाभांवितों को आधार नहीं होने की वजह से लाभों से वंचित नहीं कि पीठ ने मामले की सुनवाई सात जुलाई निर्धारित करते हुए दीवान से कहा, सिर्फ आशंकाओं के आधार पर कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता। आपको एक हफ्ते इंतजार करना होगा। यदि किसी को वंचित (लाभों से) किया जाता है तो इसकी जानकारी आप इसी अदालत को दे सकते हैं। शीर्ष अदालत समाज कल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने वाली सरकारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली तीन अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

 

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