आयकर विभाग ने बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल कर वर्टिकल गार्डन का निर्माण किया,

(रिपोर्ट:अरुण चंदेल,वरिष्ठ पत्रकार )

नयी दिल्ली,31 अक्टूबर 2022,आयकर विभाग शहरी क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे से निपटने और हरित स्थलों के निर्माण की चिंताओं को दूर करने के लिए एक अनूठा विचार लेकर आगे आया है।

दरअसल, यह अद्भुत कल्पना प्लास्टिक की बेकार पड़ी खाली बोतलों का इस्तेमाल करके वर्टिकल गार्डन या हरियाली वाली दीवारें बनाने की अवधारणा पर केंद्रित है, जिसकी अगुवाई आईआरएस अधिकारी श्री रोहित मेहरा कर रहे हैं। उन्होंने सरकारी भवनों की दीवारों पर वर्टिकल गार्डन बनाने के लिए बेकार प्लास्टिक की बोतलों को कंटेनर के रूप में उपयोग करके इस शानदार सुझाव को क्रियान्वित किया है। इस पहल के तहत अपशिष्ट प्लास्टिक का पुनर्चक्रण किया जा रहा है और पर्यावरण के प्रति सकारात्मक कार्य के लिए इसका पुन: उपयोग भी हो रहा है, जो एक तरह से दो चिंताओं को एक साथ दूर करने का प्रयास करता है।

इस पहल को देश भर में विभिन्न स्थानों पर आयकर विभाग के कार्यालयों तथा अतिथि गृह सहित कई सरकारी भवनों पर दोहराया गया है। इस विचार के द्वारा न केवल प्लास्टिक का पुन: उपयोग किया जाता है बल्कि इससे इमारतों का सौंदर्यीकरण भी होता है। इतना ही नहीं, इस अनूठी पहल से आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलती है।

अब तक, इस अवधारणा के अनुसार 7 लाख से अधिक बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों का पुन: उपयोग हुआ है और 7 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। भारत के 17 राज्यों और देश भर के 50 से अधिक जिलों में ऐसे 900 वर्टिकल गार्डन बनाए जा चुके हैं। इसके कारण 70 टन (लगभग) सिंगल-यूज वाले अपशिष्ट प्लास्टिक का पुन: उपयोग किया गया है, अन्यथा इसे लैंडफिल में पहुंचा दिया जाता।

इसके अलावा, किसी आयकर कार्यालय में बेकार की प्लास्टिक बोतलों से बना देश का सबसे बड़ा वर्टिकल गार्डन लुधियाना में स्थित है। यह 10,135 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला है और इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी स्थान दिया गया है।

विभाग द्वारा वर्टिकल गार्डन बनाने के लिए अन्य संगठनों एवं संस्थानों के साथ सहयोग करके भी इस पहल को आगे बढ़ाया गया है। स्कूल, कॉलेज, गुरुद्वारों, सरकारी भवनों, आईआईटी, न्यायालय परिसर, पुलिस थानों, जेलों, कॉरपोरेट हाउस, औद्योगिक-घरानों, होटलों, पुलों और फ्लाईओवर आदि में दीवारों पर ऐसे उद्यान बनाए गए हैं।

इस पहल के अंतर्गत वर्तमान में अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, रुड़की, बठिंडा, संगरूर, पटियाला, चंडीगढ़, जम्मू, वडोदरा, दिल्ली, सूरत और मुंबई जैसे शहर शामिल किये गए हैं।

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