इन्फोसिस की छवि पर असर! कंपनी गंवा सकती है प्रतिभाशाली कर्मचारी और ग्राहक

परियोजना पर लगे कर्मचारी भी छोड़ सकते हैं कंपनी का साथ
ग्राहकों का ध्यान अब डिजिटल और क्लाउड प्रौद्योगिकी पर
प्रतिस्पर्धी कंपनियां इस क्षेत्र के ग्राहकों पर डाल सकती हैं डोरे

विशाल सिक्का के इन्फोसिस से जाने से कंपनी को सॉफ्टवेयर प्लस सेवा मॉडल से जुड़े ग्राहकों और प्रमुख कर्मचारियों को गंवाना पड़ सकता है क्योंकि प्रतिस्पर्धी कंपनियां उन्हें अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर सकती हैं। इन्फोसिस में सिक्का ने अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान सेवाओं की आपूर्ति के लिए ऑटोमेशन और कृत्रिम बौद्घिकता जैसे नए कारोबारी मॉडलों पर खूब जोर दिया। उन्होंने सॉफ्टवेयर प्लस सर्विस मॉडल पर ध्यान देने के लिए कंपनी में एक प्लेटफॉर्म भी विकसित किया है, जिससे इन्फोसिस को लेवी स्ट्रॉस ऐंड कंपनी और डीबीएस बैंक जैसे ग्राहकों से नए डिजिटल सौदे हासिल करने में भी मदद मिली।

पिछले तीन साल के दौरान कंपनी ने नए क्षेत्रों में जो निवेश किया था उसके नतीजे भी दिख रहे थे लेकिन पिछले हफ्ते सिक्का ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कंपनी के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने पिछले साल कंपनी के पूर्व सीएफओ राजीव बंसल को नौकरी छोडऩे पर दिए गए भारी-भरकम पैकेज और इजरायली फर्म पनाया के अधिग्रहण को लेकर खुलासा नियमों में कमी को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने खुलासा नियमों में बदलाव किया और मूर्ति द्वारा सुझाए गए कंपनी के पूर्व कर्मचारी डी एन प्रह्लाद को बोर्ड में शामिल किया तथा रवि वेंकटेशन को सह-चेयरमैन बनाया। इसके बाद भी सार्वजनिक स्तर पर विवाद जारी रहा।

इन विवादों के बीच कई प्रतिभाशाली अधिकारी भी कंपनी छोड़कर जाने लगे, जिन्हें सिक्का रोक नहीं पाए। इनमें इन्फोसिस के अमेरिका में प्रमुख और अध्यक्ष संदीप डडलानी, पनाया सौदे में अहम भूमिका निभाने वाली रितिका सूरी और स्टार्टअप निवेश के लिए गठित 50 करोड़ डॉलर के नवोन्मेष कोष के प्रमुख यूसुफ बशीर जैसे दर्जन भर अधिकारी शामिल थे। विश्लेषकों का कहना है कि 3सिक्का के जाने से इन्फोसिस की नवोन्मेषी छवि को नुकसान पहुंचेगा और इससे कंपनी को कर्मचारियों और ग्राहकों को भी गंवाना पड़ सकता है।

एचएफएस रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी फिल फश्र्ट ने कहा, ‘कंपनी की नवोन्मेषी छवि को खासा नुकसान होगा क्योंकि सिक्का ने इस पर खासा ध्यान दिया था।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि एक्सेंचर और आईबीएम को डिजिटल क्षेत्र में सौदे हासिल करने में बढ़त मिल सकती है।’

आईटी क्षेत्र की शोध फर्म आईएसजी के हालिया अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय आईटी कंपनियां – इन्फोसिस, टीसीएस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजिज आदि के पास स्केनेडेवियन एयरलाइंस, फोर्ड और टोयोटा मोटर्स यूरोप के संग 2018 के मध्य तक 16 महत्त्वपूर्ण सौदों का नवीनीकरण करना है।  एक प्रतिस्पर्धी आईटी फर्म के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ग्राहक स्थिरता चाहते हैं। प्रबंधन की तरफ से सार्वजनिक तौर पर स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद भी इन्फोसिस की स्थिति बताती है कि इसने अपने आप से भरोसा खो दिया है। आप देखेंगे कि इन्फोसिस से कर्मचारियों व ग्राहक दूसरी जगह जाएंगे।

सिक्का के मजबूत संबंधों को देखते हुए इन्फोसिस को डिजिटल तकनीक की ताकत और अमेरिका में शुद्ध रूप से डिजिटल परियोजनाओं में प्रतिस्पर्धा करने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। दो जानकारों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से यह साझा किया। एक जानकार ने कहा, मौजूदा परियोजनाओं का कम से कम 10-15 फीसदी विभिन्न स्तरों पर प्रभावित होने की संभावना है। 30 जून 2017 को इन्फोसिस ने 1164 सक्रिय ग्राहकों की जानकारी दी ती और इनमें से 190 1 करोड़ डॉलर से ज्यादा के थे।

एवरेस्ट समूह के मुख्य कार्याधिकारी पीटर बी सैमुअल ने कहा, इन्फोसिस की तरफ से डिजिटल सौदा हासिल करने के मामले में सिक्का का व्यक्तिगत ब्रांड अहम था। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि इस वजह से अल्पावधि में ज्यादा ग्राहक बाहर निकल जाएंगे। संबंधों में मुश्किलें होंगी, लेकिन यह कोई भ्रष्टाचार का मसला नहीं है। हालांकि मुझे नहीं लगता कि यह इन्फोसिस की बढ़त पर असर डालेगा, खास तौर से नए व महत्वपूर्ण डिजिटल बाजार में। सिक्का का व्यक्तिगत ब्रांड इन्फोसिस के लिए इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण था और आला अधिकारी के निकलने से झटका लगेगा और इसके परिणामस्वरूप कुछ हद तक भ्रम फैलेगा, जब तक कि नया नेतृत्व कमान नहीं संभाल लेता। उन्होंने कहा कि नए डिजिटल कामकाज के लिए इन्फोसिस के इस्तेमाल में ग्राहक सतर्क रहेंगे, लेकिन इससे सिर्फ बढ़त के परिदृश्य पर असर पड़ेगा। अगर इन्फोसिस नए डिजिटल बाजार में प्रतिस्पर्धी ताकत में पीछे रह जाती है तो इसके प्रतिस्पर्धियों को फायदा होगा और वे इन्फोसिस की कमजोरी को भुना लेंगे।

आईटी क्षेत्र के विशेषज्ञों का दावा है कि सेवा फर्मों के लिए प्रतिस्पर्धा मोटे तौर पर अवरोधित हुई है और भारतीय आईटी उद्योग के सबसे बड़े बाजार अमेरिका में नए सौदे हासिल करने के मामले में डिजिटल क्षमता अहम है। कंसल्टेशन रिसर्च के प्रधान विश्लेषक रे वांग ने कहा, ग्राहकों ने मोटे तौर पर इन्फोसिस में सार्वजनिक तौर पर हो रहे संघर्ष पर ध्यान नहीं दिया। हालांकि सिक्का की विदाई ने इस मसले को गंभीर बना दिया। विश्लेषकों के एक समूह का हालांकि मानना है कि इन्फोसिस की मजबूत अकाउंट मैनेजमेंट टीम सालों में ग्राहकों के साथ जुड़े संबंधों को बनाए रखना सुनिश्चित करने के लिए हर तरह का कदम उठाएंगी।