एसओ से प्रताडित किसान नेता बैठे भूख-हड़ताल पर, 9 वें दिन बिगड़ी हालत तो पुलिस ने किया ये ड्रामा

 सुल्तानपुर.(बब्लू मिश्रा) यूपी में योगी राज आने के  बाद कहा गया सिस्टम बदल रहा, लेकिन सुल्तानपुर के गोसाईगंज थाने के एसओ की कार्यशैली को देखकर तो ऐसा लग रहा कि अभी भी सिस्टम वही है। बस फर्क है तो सत्ता में दल के परिवर्तन का। इसलिए के थाना गोसाईगंज एसओ ने किसान नेता के साथ जो बरताव किया उसकी झलक पूर्व की सरकार से मिलती-जुलती है। आरोप है कि एसओ ने किसान नेता पर गबन का फर्जी मुकदमा लिख 48 घंटों तक उसे थाने में रख जमकर धुना, जब मन भर गया तो धारा 151 में चालान कर अपनी गर्दन बचाई। एसओ की इस बर्बरता के खिलाफ  किसान नेता साथियों संग पिछले 8 दिनों से इंसाफ के लिए भूख-हड़ताल पर बैठा है, जहां 9 वें दिन उसकी व साथियों की हालत नाजुक हुई तो पुलिस के उच्च अधिकारी बल के साथ मौके पर पहुँचे और एम्बुलेंस में डाल सबको अस्पताल ले आए। आरोप ये भी है के पुलिस के एक उच्च अधिकारी एसओ को बचाने के लिए किसान नेता पर दबाव बना रहे हैं।
जानें क्या है पूरा…
किसानों की लड़ाई और मौके-मौके पर उनकी मांगो को जहां राजनीतिक संगठन उठाते रहते हैं वहीं किसानों की आवाज़ को उठाने के लिए कुछेक गैर राजनीतिक किसान संगठन भी है। अक्सर करके किसानों के इन गैर राजनीतिक संगठनों की किसानों के मुद्दों पर पुलिस-प्रशासन से ठनी भी रहती है।  किसानों के इन्हीं गैर राजनीतिक संगठनों में से एक संगठन है भारतीय किसान यूनियन (भानु)। इस संगठन के ज़िला उपाध्यक्ष शकील अहमद कुरैशी ने थाना गोसाईगंज के एसओ सुरेन्द्र प्रताप सिंह पर गम्भीर आरोप लगाए हैं।
*केस न. 1…*
प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर शासनिक, प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों को 22 मार्च को दिए  पत्र में किसान नेता शकील ने लिखा है कि एसओ गोसाईगंज सुरेन्द्र सिंह ने उनके विरूद्ध 18 मार्च को फर्जी गबन का मुकदमा लिख उन्हें अरेस्ट कर लिया।
जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार जिस मामले में 7 वर्ष से कम की सज़ा है पुलिस उसमें अरेस्टिन्ग नहीं कर सकती।
*केस न. 2…*
आरोप है कि यहां एसओ ने मानवाधिकार नियमों का जमकर हनन किया और दो दिनों तक थाने में रखकर किसान नेता की जमकर पिटाई की। मानवाधिकार नियमों की यदि बात की जाए तो पुलिस इतने लम्बे समय तक किसी को भी थाने में रख नहीं सकती।
*केस न. 3…*
थाने पर दो दिनों तक रखने के बाद एसओ ने 20 मार्च को 151 एवं  107/116 में किसान नेता का चालान किया। सवाल ये पैदा होता है कि जब मामला गबन का था तो एसओ को शांति भंग में चालान करने की कौन सी स्थित नज़र आई।
*केस न. 4…*
चालान से पूर्व एसओ द्वारा किसान नेता का जयसिंहपुर सीएचसी पर मेडिकल कराया गया, जहां पुलिस के अनुरुप ही रिपोर्ट बनी और सब कुछ नार्मल रहा। ठीक दो घंटे बाद अदालत में पेशी से पहले किसान नेता जिला अस्पताल में मेडिकल की बात कही, इस पर अस्पताल में मेडिकल हुआ तो डाक्टर ने मेडिकल रिपोर्ट में किसान नेता के शरीर पर चोट दर्शाई। सवाल ये पैदा होता है कि आखिर कौन सी मेडिकल रिपोर्ट सही है? और किस मेडिकल रिपोर्ट में गड़बड़ झाला हुआ है।
इंसाफ के नाम पर पुलिस ने दिया मुकदमे का तोहफा
इस तरह पुलिसिया बर्बरता से आहत किसान नेता ने 22 मार्च को सीएम से लेकर सभी से न्याय की गुहार लगाई, साथ ही ये भी कहा के यदि उसे 2 अप्रैल तक न्याय न मिला तो वो 3 अप्रैल से संवैधानिक रूप से आमरण अनशन पर बैठेगा। लेकिन सीएम योगी की पुलिस ने मामले से सम्बंधित पत्र को रद्दी कागज़ समझ किनारे कर दिया। इससे आक्रोशित किसान नेता 3 अप्रैल से शहर के तिकोनिया पार्क में आमरण-अनशन पर संगठन के लोगों के साथ बैठ गया। चार दिन बीत गए लेकिन अधिकारियों ने इस ओर देखना भी उचित नहीं समझा। पाँचवे दिन कुछ अधिकारी पहुँचे भी तो आरोपी एसओ के विरुद्ध कार्यवाई किए बगैर। अधिकारियों ने किसान नेता से अनशन तोड़ने की बात कही और कहा जाँच चल रही है कार्यवाई होगी। लेकिन प्रशासन के इस झुनझुने से किसान नेता खेलने से वाज़ आए। अनशन जारी रहा और 9वें दिन किसान नेता कि हालत नाजुक हो गई तो अपर पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में भारी बल उक्त स्थल पर पहुँचा किसान नेता और उसके समर्थन में बैठे नेताओं को एम्बुलेंस में लादा और अस्पताल ले आकर एडमिट करा दिया। साथ पुलिस ने धारा 309 के तहत मुकदमा भी दर्ज किया है।
दोषी कोई भी हो बक्शा नहीं जाएगा:डीआईजी
इस बाबत डीआईजी रेंज फैजाबाद आर.के. साहू का कहना है कि मामला संज्ञान में आ चुका है। अधिकारियों को निष्पक्ष जाँच के निर्देश दे दिए गए हैं। जाँच रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया गया उसके खिलाफ सख्ती से पेश आया जाएगा।
पुलिस ने किया अंग्रेजों की हुकूमत वाला काम
वहीं इस मामले में दीवानी न्यायालय में क्रिमनल के सीनियर लायर अरविंद सिंह राजा ने कहा कि पुलिस द्वारा की गई कारवाई पूर्णतः निंदनीय है। वहीं लायर श्री सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने और अपना अधिकार मांगने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि जब उक्त मामले में अधिकारियों को सूचित करके शांति पूर्ण ढंग से अनशन जारी था, तो पुलिस को ऐसी कार्यवाई नहीं करना चाहिए था। ये तो वैसा ही हुआ जैसा गाँधी जी के सत्याग्रह आंदोलन में अंग्रेजों ने किया था।

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