कर्ज-योग पर पतंजलि का जोर, उत्पादन क्षमता बढ़ाने में जुटी

लघु अवधि में 1,000 करोड़ रुपये ऋण के लिए बैंक से ऋण लेने की योजना

नामी गिरामी एफएमसीजी कंपनियों को टक्कर दे रही पतंजलि तेज छलांग लगाने के बाद अपना कारोबारी ढांचा बदल रही है। इसके लिए वह दूसरी कंपनियों की ही तरह उत्पादन क्षमता और वितरण तंत्र में विस्तार करने जा रही है। हालांकि अभी तक इस कंपनी ने निवेश के लिए आंतरिक संसाधनों का ही इस्तेमाल किया था, लेकिन अब 1,000 करोड़ रुपये उधार लेने की उसकी योजना है। कंपनी ने अगले दो साल के लिए आक्रामक रणनीति तैयार की है, जिसे देखते हुए बाहरी स्रोतों से कर्ज लेना जरूरी हो गया है। 

पतंजलि ने 2018 के मध्य तक कम से कम चार नए संयंत्रों में उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा है। इस साल की शुरुआत में पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक बाल कृष्ण ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था कि इन संयंत्रों के लिए कंपनी को 5,000 करोड़ रुपये निवेश की आवश्यकता होगी। इस परियोजना के तहत कंपनी गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश), नागपुर (महाराष्ट्र), तेजपुर (असम) और इंदौर (मध्य प्रदेश) में खाद्य एवं हर्बल पार्क स्थापित करेगी। तेजपुर संयंत्र के अगले साल मार्च तक शुरू होने की उम्मीद है, जबकि अन्य तीन फूड पार्क में जून तक उत्पादन शुरू हो जाएगा। 

उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित फूड पार्क से कंपनी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण बाजार की जरूरतें पूरी करेगी। पार्क में दो चरणों में 1,400 करोड़ रुपये निवेश होगा। बाल कृष्ण ने कहा कि पहले चरण में 800 करोड़ रुपये के निवेश की प्रक्रिया दीवाली तक पूरी हो जाएगी। स्वेदशी उत्पाद देने के दावे के साथ तेजी से बढ़ रही यह उपभोक्ता वस्तु कंपनी अपने उत्पादों की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए उत्पादन क्षमता में विस्तार करना चाहती है। पिछले कुछ सालों के दौरान कंपनी की बिक्री में जबरदस्त तेजी हुई है और उसे ठेके पर उत्पादन कराना पड़ा है क्योंकि उसके हरिद्वार संयंत्र पर उत्पादन बोझ खासा बढ़ गया था।

विश्लेषकों का कहना है कि तैयार उत्पादों के लिए बाहरी विनिर्माताओं पर निर्भरता से आने वाले दिनों में इसका मुनाफा कमजोर हो सकता है। उपभोक्ता वस्तु के बाजार में मौजूद अन्य कंपनियों के मुकाबले पतंजलि पर कर्ज का बोझ कम है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार संयंत्रों के निर्माण कार्यों में तेजी से बाहरी कर्ज पर कंपनी की निर्भरता बढ़ेगी, जिससे कर्ज का बोझ कुछ हद तक बढ़ सकता है।

 

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