किताब के पन्नों में चुप्पी तोड़ेंगे राजन

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन किताब के जरिये अपनी चुप्पी तोड़ेंगे। राजन के पद छोडऩे के करीब एक साल बाद उनकी किताब 4 सितंबर को बाजार में आएगी। उन्होंने इस पुस्तक को ‘आई डू व्हॉट आई डू: ऑन रिफॉर्म, रेटरिक ऐंड रिजॉल्व’ नाम दिया है और इसकी कीमत 699 रुपये रखी गई है। एमेजॉन और फ्लिपकार्ट में प्रीऑर्डर पर यह 24-25 फीसदी छूट के साथ उपलब्ध है।
राजन ने आरबीआई के गवर्नर के तौर पर अपने अंतिम दिनों में कहा था कि बैंक छोडऩे के एक साल तक वह सार्वजनिक बहसों में हिस्सा नहीं लेंगे। उनका कहना था कि आरबीआई गवर्नर की अतिव्यस्त जिम्मेदारी के बाद उनके लिए यह ब्रेक लेना जरूरी होगा और इस दौरान उनके उत्तराधिकारी ऊर्जित पटेल को भी अपने पद पर जमने का मौका मिल जाएगा।

अगर राजन ने पिछले एक साल के दौरान नोटबंदी जैसे अहम आर्थिक मुद्दों पर अपनी चुप्पी तोड़ी होती तो आम लोग और मीडिया लगातार उनकी और पटेल की कार्यशैली और नोटबंदी से निपटने के उनके तरीकों की तुलना कर रहा होता। फिर भी इस तरह की अटकलें हैं कि क्या राजन ने नोटबंदी की जानकारी होने के कारण ही इस्तीफा दिया था। इनमें से कुछ अटकलों का जवाब इस किताब में मिल सकता है। राजन के 5 सितंबर को चेन्नई में किताब के विमोचन समारोह में मौजूद रहने की संभावना है।

इस किताब का शीर्षक 29 सितंबर, 2015 को आरबीआई की मौद्रिक नीति जारी करते समय राजन द्वारा कही गई बात से लिया गया है। तब केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों 50 आधार अंक की कटौती करते हुए सबको चौंका दिया था। तब उनसे पूछा गया था कि क्या वह सेंटा क्लॉज हैं जो उन्होंने अर्थव्यवस्था को उपहार देने के लिए ब्याज दरों में उम्मीद से ज्यादा कटौती कर दी? इस पर राजन का जवाब था, ‘मैं नहीं जानता कि आप मुझे क्या पुकारना चाहते हैं। सेंटा क्लॉज… या आप मुझे सख्त कहना चाहते हैं, मुझे पता नहीं। मुझे इससे मतलब भी नहीं है। मेरा नाम रघुराम राजन है और मैं जो करता हूं सो करता हूं।’

राजन 2013 से 2016 तक आरबीआई के गवर्नर रहे और इस दौरान उनका अंदाज वही रहा। अमूमन विभिन्न मुद्दों पर उनका रुख सरकारों से अलग ही रहा। राजन ने ऐसे वक्त केंद्रीय बैंक की कमान संभाली जब रुपया 28 अगस्त, 2013 को 68.87 के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था।

राजन के पूर्ववर्ती सुब्बाराव ने रुपये की गिरावट को रोकने के लिए राजन के व्यक्तित्व और अंतरराष्टï्रीय छवि का इस्तेमाल करने का फैसला किया था। राजन ने 4 सितंबर को पद संभालते ही देश की बीमार वित्तीय व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई घोषणाएं की थीं।

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