कील से पूछो

डॉ नेहा “प्रेम”

उस कील से पूछो जो ईशा के दर्द में भी साथ था,

खुशी इस बात की थी कि चलो उसे इसी बहाने साथ तो था,

दर्द मुझे भी था पर दर्द देकर क्या करता,

मुझे अपना फर्ज जो निभाना था,

नहीं रोक पाया क्योंकि मुझे जो अपना कर्ज निभाना था,

उस कील से पूछो जो ईशा के दर्द में भी साथ था,

खुशी इस बात की थी कि चलो उसे इसी बहाने साथ तो था।

 

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